चुनाव लोकतंत्र की पहचान है. और सहकारी चुनाव कोई अपवाद नहीं है. सदस्यों द्वारा व्यापक भागीदारी सहकारी आंदोलन की जड़ों को मजबूत बनाता है लेकिन नेफेड तो अन्यथा लगता है.
30 जून के लिए निर्धारित नैफेड के चुनाव की प्रक्रिया गुप-चुप ढंग से चल रही है. भारतीयसहकारिता.कॉम को अधिकांश हिस्सेदारी धारकों ने बताया कि उन्हें नामांकन और कार्यक्रम के बारे में कुछ नहीं मालूम.
अध्यक्ष बिजेन्दर सिंह ने पिछले सप्ताह भारतीयसहकारिता.कॉम को बताया कि कानून वह अब उम्मीदवार नहीं हैं क्योंकि कोई भी तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव नहीं लड सकता.
पूर्व विपणन निदेशक(कृभको) श्री वी.पी.सिंह को 28.04.14 को आयोजित बैठक में नेफेड के निदेशक मंडल द्वारा पारित प्रस्ताव द्वारा निर्वाचन अधिकारी बनाया गया है.
चुनाव के बारे में जानकारी भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के सभी पात्र सदस्य समितियों को नहीं भेजी गई है. भारतीयसहकारिता.कॉम डेस्क को बिहार से लेकर तमिलनाडु तक से प्रश्नों की बौछार हो रही है.
बिहार में 67 प्रतिनिधि हैं, लेकिन केवल सात सदस्य समितियों को नामांकन से संबंधित सूचना प्राप्त हुई है.
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