हाल ही में नेफेड टाई अप घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप से बरी कर दिए गए बिजेंद्र सिंह ने अपनी रिहाई का श्रेय पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के हारने को दिया. “अगर वे रहते तो मुझे क्लीन चिट नहीं मिलती.” भारतीयसहकारिता.कॉम से श्री सिंह ने कहा.
“मैं मंत्री का प्रिय नहीं रहा क्योंकि वह अपने ही आदमी को नेफेड के सिर पर थोपना चाहता था. लेकिन चुनाव चुनाव होता है और निर्वाचित निर्देशकों ने मुझे अध्यक्ष के रूप में चुना और फिर मैं क्या कर सकता था”, सिंह ने कहा.
कहा जाता है कि श्री पवार नासिक के कोऑपरेटर होलकर को अध्यक्ष बनना चाहता था. लेकिन बिजेन्दर सिंह ने उनकी बात नहीं सुनी. नेफेड के अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री के बीच दुश्मनी उसके बाद थम गई थी.
बिजेन्दर ने पवार पर आरोप लगाया है कि घोटाले में उसे फंसाने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों को कहा था. मैं बिना वोटिंग अधिकार के सिर्फ एक स्थानीय निदेशक था. उन्होंने पूछा कि इस हालत में वे निर्णय को कैसे प्रभावित कर सकता था जिससे यह समस्या उठी थी.
“केंद्रीय पंजीयक बहुत अच्छी तरह से जानते थे कि मैं निर्दोष हूँ. उन्होंने भी अनौपचारिक रूप से मेरे साथ यह बात साझा कि थी लेकिन वह अपने ‘बॉस’ को खुश करने के लिए मामले को खींच रहे थे.