ओडिशा में नवीन पटनायक सरकार अभी भी सहकारी चुनावों पर समय ले रही है. सुस्त अनिर्णय नृशंस है. वहां सहकारी चुनाव बहुत पहले आयोजित किया जाना चाहिए था.
ओडिशा सहकारी समितियों (संशोधन) अधिनियम 2012 भी 2013 में ही अस्तित्व में आया. चुनाव कराने के लिए ओडिशा सहकारी समितियों नियम (1965, 1991) में संशोधन के बाद सरकार इस मामले को टाल रही है.
एक वरिष्ठ ओडिशा भाजपा नेता ने कहा है राज्य सरकार बस इस मुद्दे पर बेरुखी दिखा रही है. मामला राज्य विधानसभा के हाल के सत्र में उठाया गया था और विपक्षी सदस्यों ने संवैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की.
सूत्रों का कहना है कि अधिकांश सहकारी निकाय सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा नियंत्रित हैं, अतः सरकार एक बहाना या किसी अन्य का हवाला देते हुए समय ले रही है.