देश का प्रमुख सहकारी संस्थान वैकुंठलाल मेहता राष्ट्रीय संस्थान (VAMNICOM) की ‘बिल्डर्स लॉबी की लालच का शिकार हो गया है क्योंकि एक असहाय प्रबंधन मात्र एक दर्शक के रूप में सिमट गया है. उभरती स्थिति से लगभग आधे संस्थानों के परिसर को सार्वजनिक भूमि में ध्वस्त होने का खतरा है.
भारतीयसहकारिता.कॉम से बात करते हुए Vamnicom के दुखी निदेशक संजीब पतजोशी ने भारत सरकार के संस्थान की इस तरह की दुर्दशा पर आश्चर्य व्यक्त किया.
समस्या की जड़ इमारतों में है जिनका निर्माण Vamnicom के पीछे किया गया है. 32 माले के लगभग 6 टावर हैं. फ्लैटों के लिए पहुँच सड़क नहीं होने से बिल्डर को फ्लैटों के विपणन की समस्या है. मौजूद सडक एक रक्षा प्रतिष्ठान के मध्य से है और यह भविष्य में भी सुलभ बना रहेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है.
भारतीयसहकारिता.कॉम को मालूम हुआ है कि बिल्डरों का स्थानीय नेताओं के साथ सांठगांठ है और पुणे नगर निगम पर दबाव डालकर भीड़भाड़ वाली सड़क को चौड़ा करने के नाम पर Vamnicom भूमि के एक हिस्सा पर दावा किया है. इस तरह वे Vamnicom के आसपास के क्षेत्र में बने भवनों के लिए एक सीधा सड़क पाने में सक्षम होंगे.
[Detailed report on = indiancooperative.com]