बिहार में पैक्स चुनाव प्रत्येक चरण के बाद संदिग्ध होता जा रहा है. पिछले सप्ताह हुआ चुनाव एक तमाशा लग रहा था. कई क्षेत्रीय टीवी चैनलों ने कई जगह बच्चों को वोट देने के कतार में खडे दिखाया.
जिले हाजीपुर के विदुपुर ब्लॉक के माइल पंचायत में नाबालिग लड़के विश्वास के साथ कार्ड लहरात रहे थे कि वे वास्तविक मतदाता हैं. पुलिसकर्मी कुछ भी करने में असहाय दिखाई दे रहे थे क्योंकि इन लड़कों के पास “आवश्यक” कागजात थे.
सहायक निर्वाचन अधिकारी श्री राजेश रंजन स्थिति का बचाव करने की कोशिश में हासास्यपद लग रहे थे. बिहार में वर्ष 2009 में विधानसभा के एक अधिनियम के तहत राज्य में सहकारी चुनाव का संचालन करने के लिए एक अलग निर्वाचन प्राधिकरण है.
किशनगंज के सिंधिया कुलमनी पंचायत में पुलिस ने किसानों पर लाठी चलाया. नाराज किसान हिंसक हो गए और ठाकुरगंज सीओ और अन्य पुलिस के वाहन पर पथराव किया जिससे मतदान रुक गया. स्थानीय नेताओं और प्रशासन के बीच बातचीत के बाद तनाव शांत होने के बाद ही चुनाव फिर से शुरू हो सका. इस बीच घायलों को Belwa प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया है.
पांच साल के बाद होने वाले पैक्स चुनाव कई चरणों में पूरा होंगे. सुनील सिंह – राज्य के प्रमुख सहकारी ने भारतीयसहकारिता को बताया कि उनके कई उम्मीदवार मैदान में हैं.
लेकिन हास्यास्पद बात यह है कि चुनाव अधिकारियों की उपस्थिति से भी कोई फरक नहीं पडता. सहकारी चुनाव में धांधली का होना जारी है और मतदाता सूची की तैयारी में बड़े पैमाने पर धांधली की रिपोर्ट है. क्या जीतन राम मांझी सुन रहे हैं?