हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत से राज्य में सहकारी क्षेत्र के लिए व्यापक परिणाम होने की अटकलें बढ़ गई हैं. इस के लिए कारणों की तलाश मुश्किल नहीं है.
भाजपा के लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि राज्य की राजनीति में सहकारी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है. अतः महाराष्ट्र में एक लंबी अवधि के राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थिर करने के लिए इस क्षेत्र को नियंत्रित करने की जरूरत है.
विश्लेषकों का कहना है कि यह न केवल कांग्रेस और राकांपा की राजनीति को धूल में मिलाएगा बल्कि राज्य में भाजपा को व्यापक बनाएगा जिससे दल के लोगों को मदद भी मिलेगी.
राज्य में हजारो सहकारी संगठन हैं और उनके संयुक्त वित्तीय लेनदेन 1,73,800 करोड़ रुपये तक है.
सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में कई सहकारी संस्थाएं बीमार हैं और मुंबई में नई सरकार को उन्हें संकट से बाहर लाने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे.