महाराष्ट्र में छोटे, मध्यम और बड़े सहकारी बैंक मुसीबत में हैं। आयकर विभाग जल्द ही काले धन का पता लगाने के लिए सहकारी बैंकों में जमाकर्ताओं का निवेश और सभी लेनदेन की जाँच शुरू करेगा।
कुछ आयकर अधिकारियों ने कहा है कि बड़े पैमाने पर सहकारी बैंक बेहिसाब पैसे की लेनदेन के लिए कुख्यात रहे हैं। ऐसे समय में जब काला धन बड़ा मुद्दा बन गया था, इन बैंकों की गतिविधियों की जांच करने की आवश्यकता है।
कुछ आयकर अधिकारियों का मानना है कि उच्च ब्याज पाने के लिए कुछ राजनेताओं, बिल्डर्स, उद्योगपतियों और शीर्ष मध्यम वर्ग के लोगों ने आपने काले धान को सहकारी बैंकों मे जमा किया है।
आयकर अधिनियम के तहत, सहकारी समिति आपने सदस्यों को टीडीएस के लिए ब्याज भुगतान नहीं करता है। लेकिन इन प्रावधानों को डायरेक्ट टैक्स कोड से हटा दिया गया है।
डायरेक्ट टैक्स कोड, विधेयक के रूप में संसद में पेश किया गया था, जिसके चलते सहकारी बैंकों की एफडी को अब कर के दायरे में लाया गया है।
आयकर विभाग महाराष्ट्र के सभी प्रमुख सहकारी बैंकों की एफडी खातों की जांच के लिए छह महीने की समय सीमा पर काम कर रहा है।
विभाग सहकारी बैंकों से 2 लाख रुपए से ऊपर की एफडी खातों की पूरी जानकारी लेगा।
बाद में, विभाग प्रत्येक जमाकर्ताओं से बैंक विवरण की भी मांग करेगा।
महाराष्ट्र में लगभग 32 प्रतिशत सहकारी बैंक है। देश के 1,618 शहरी सहकारी बैंकों में से 526 बैंक महाराष्ट्र में स्थित है।
डाटा के आनुसार 1,73,800 करोड़ रुपये सहकारी बैंकों में जमा है। देश की 68 फीसदी जमा राशि सहाकारी बैंकों में जमा है।