यूरिया को पोषक आधारित तत्व सब्सिडी के अंदर लाना चाहिए है या नहीं विषय पर इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यू.एस.अवस्थी ने अपना तर्क दिया हैं।वित्त मंत्रालय और उर्व मंत्रालय के बीच में इस विषय पर बातचीत चल रही है।
इस मुद्दों पर डा अवस्थी ने ट्वीट कर कहा, वित्त मंत्रालय को यूरिया को एनबीएस के अंदर लाना चाहिए। उन्होनें जल्द ही एक सकारात्मक परिणाम के बारे में उम्मीद जातई है।
सूत्रों से पता चला है कि यूरिया को एनबीएस के अंदर लाने से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और साथ ही ईंधन की कीमतों में कमी का प्रभाव पडे़गा। ।
@डॉ यू.एस.अवस्थी ने ट्वीट कर कहा:# इफको खुश है सुनकर कि वित्त मंत्रालय, यूरिया को एनबीएस के अंदर लाने के लिए जोर दे रहा है। उर्वरक मंत्रालय से अनुरोध है कि इसे जल्ध से जल्ध किसानों के हित में किया जाए।
यूरिया की कीमतें अधिकतम खुदरा मूल्य(एमआरपी)पर तय की जाती हैं और सरकार निर्माताओं को उत्पादन और एमआरपी की लागत के बीच के अंतर पर भुगतान करती है।
देश में यूरिया का उत्पादन वर्ष 2007-08 के बाद से 22 करोड़ टन (एमटी) पर बना हुआ है जब्कि वर्तमान में यूरिया की मांग 30 करोड़ टन है।