एनसीयूआई के अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह यादव ने शुक्रवार को एनसीयूआई के 61 वें सहकारी सप्ताहके समापन समारोह में गौरवशली भाषण दिया है। गौरतलब है कि यादव ने वैसे तो अनेक भाषण दिए है, पर इस बार का भाषण अन्य भाषणों में सबसे अलग था। ये पता नहीं कि इस गौरवशली भाषण का कारण, यादव को राज्य सभा की सीट के लिए चुना जाना था या एनसीयूआई में केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह की उपस्थिति थी। इस समारोह में सहकारी समितियों के अधिकतर दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया।
सहकारी समितियों के अंदर काम कर रहे कुछ व्यक्ति गलत हो सकते है, पर पूरी समिति कभी गलत नहीं हो सकती है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर आप हमे समिति को छोडने का प्रस्ताव रखेंगे तो हम खुशी-खुशी समिति से त्याग पत्र दे देंगे, लेकिन भगवान के लिए, सहकारी समितियों को “प्रशासकों” की मनमानी से बचाया जाए, एनसीयूआई के अध्यक्ष ने कहा।
प्रशासकों का सहकारी समितियों से कोई लेना-देना नहीं है, चाहे समिति या संस्था घटा में चल रही हो या लाभ में। आजतक का अनुभव यही है कि जिस भी संस्था में इन्हें बैठया गया है, वह संस्था बंद होने की करार पर आ गई है। गुजरात का उदाहरण देते हुए यादव ने कहा कि गुजरात का सहकारी आंदोलन बिना इनकी मदद के मजूबत है।
चन्द्र पाल सिंह यादव ने केंद्रीय मंत्री के सामने सहकारी आंदोलन से जुडे लगभग सभी मुद्दो पर चर्चा की, जैसे बहु राज्य सहकारी अधिनियम कानून, डायरेक्ट टैक्स कोड आदि। डीटीसी पर निशाना साधते हुए यादव ने कहा कि यह टैक्स सहकारी समितियों को और कमजोर बना देगा।
यादव ने याद दिलाया कि भारत का सहकारी आंदोलन विश्व का सबसे मजबूत आंदोलन है और सरकार की योजनाओं को सहकारी समितियों के मध्यम से चलाया जाना चीहिये। एक किसान उर्वरक की प्रप्ति करने के लिए इफको और कृभको के पास जाता है। इफको आज विश्व में सबसे अच्छी सहकारी समिति बन गई है।
यादव ने कहा कि हमें भी प्रशंसा के एक शब्द की जरूरत है।