भारत, वर्गीज कुरियन के 92 जन्मदिन को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के तौर पर मना रहा है। गौरतलब है कि वर्गीज कुरियन ने अमूल को अपनी पहचान दिलाई और गुजरात के सहकारी दूध आंदोलन को एक नायब उदाहरण के रूप में पेश किया।
वर्गीज कुरियन को याद करने के लिए जीसीएमएमफ कई कार्यक्रमों का भी अयोजन कर रहा है। ये कार्यक्रम एक सप्ताह तक चलेंगे।
इस मौके पर इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यू.एस.अवस्थी ने कहा कि सहकारी आंदोलन के माध्यम से गरीब किसानों को रोजगार देने में और इनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में कुरियन का योगदान उल्लेखनीय है।
डॉ यू.एस.अवस्थी का ट्वीट वर्गीज कुरियन के जन्म दिवस पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता है कुरियन के कार्यान्वयन सहकारी आंदोलन के माध्यम से सराहनीय था,उन्होनें ट्वीट में लिखा है।
कुरियन ग्रामीण भारत को सशक्त करना चाहते थे और उन्होनें दुध को इस काम के लिए चुना था। किसान सहकारी आंदोलन में खुद निर्माता-मालिक बन गए थे। उनकी प्रतिष्ठा कुछ ऐसी थी की विश्व बैंक द्वारा अमूल को बिना मंगे ऋण की पेशकश भी की गई थी।