राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) आंध्र प्रदेश राज्य सहकारी बैंक (आपकोब) के बीच में चल रही विभाजन की प्रक्रिया में देर होने से नाराज़ हैै। नाबार्ड ने कहा कि यदि जल्दी निर्णय नहीं लिया गया तो ये अपनी पुनर्वित्त योजनाओं को बंद कर देगा।
आंध्र और तेलंगना के विभाजन से राज्य स्तरीय सहकारी बैंक का विभाजन होना लाजमी है, लेकिन बैंक के बोर्ड के सदस्यगण इस मामले मे कोई निर्णायक कदम नहीं उठा पा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अचल संपत्ति सहित रिजर्व धन और संपत्ति का विभाजन विवादास्पद मुद्दे हैं, जिस पर सहमति बनने में दिक्कत आ रही हैं।
नाबार्ड, आपकोब के माध्यम से किसानों और कृषि समितियों को ऋण प्रदान कराता है। नाबार्ड अधिनियम,1981 के तहत अगर किसी बैंक का संचालन एक से अधिक राज्य में होगा तो नाबार्ड उसे ऋण प्रदान करने में सक्षम नहीं होगा। अबतक आपकोब, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में कार्य करता रहा है।
सूत्रों का कहना है कि अगर आपकोब के विभाजन की प्रक्रिया पुरी होती है, तो नाबार्ड बैंक को ऋण के रुप में हाजारों- करोड़ों रुपए की पेशकश रख सकता हैं।