घोटालों के लिए मशहूर नॉर्वे स्थित उर्वरक सहकारी संस्था यारा इंटरनेशनल ने भारतीय किसानों की जिंदगी को बदलने की ठान ली है। कंपनी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा है कि भारत में लगभग 50 प्रतिशत लोग खेती बाड़ी करके अपना जीवन जी रहें हैं और किसानों ने देश में सामाजिक और आर्थिक विकास में आपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,लेकिन भारत के कृषि क्षेत्र को बढावा देने की बहुत आवश्यकता है।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले यारा इंटरनेशनल पर आरोप लगा था कि यह कृभको के सहयोग से भारत में एक उर्वरक संयंत्र स्थापित करने के लिए भारतीय नौकरशाहों को घूस दे रहा है। इस पुरे सिलसिले में कृभको के कुछ सहकारी नेता बिना बात के शक के दायरे में आ गए थे। आखिरकार उर्वरक मंत्रालय के एक अधिकारी को इस पूरे सिलसिले में दोषी पाया गया।
यारा अब महाराष्ट्र के किसानों को उनकी फसलों के लिए अच्छा उत्पादन देने का वादा कर रही हैं। उनका कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की भागीदारी लगभग 13.7 प्रतिशत कम हुई है और अच्छी फसल से सकल घेरलू उत्पाद की विकास दरों पर प्रभाव पडेगा, जो देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने मे सकारात्मक सिद्ध होगी।
महाराष्ट्र मे लगभग तीन साल पहले किसानों ने प्रगतिशील फसलें जैसे अंगूर और अनार में असंतुलित संयंत्र पोषण प्रथाओं का सिलसिला शुरू किया लेकिन पैदावार बढाने की होड़ में उपज की गुणवत्ता को ध्यान मे रखना भी जरूरी होता है। भारत में यारा के प्रतिनिधि संजीव ने बताया।
नॉर्वे की एक वेबसाइट के अनुसार, कुछ महीने पहले नॉर्वे की पुलिस ने यारा इंटरनेशनल के पूर्व अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था और साथ ही यारा पर मोटा जुर्माना भी लगया था। हांलाकि नॉर्वे स्थित उर्वरक संयंत्र यारा के अध्यक्ष ने इस पूरे मामले में अपने आप को साफ बताया था।
यारा पर लीबीया, भारत और रूस के अधिकारियों को रिशवत देने का भी आरोप लगा था।
इन सब के बावजूद भारत में यारा की टीम भारतीय किसानों को लुभाने में लगी हुई है। प्रेस विज्ञाप्ति में कहा गया है कि हम भारतीय किसानों को बेहतर उत्पादन देंगे। अभी तक न ही भारत सरकार और न ही सहकारिता क्षेत्र के लोग इस मुद्दे पर ध्यान दे रहे हैं।