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चंद्र पाल सिंह: किसानों के लिए पेंशन की मांग

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव ने संसद में अपने प्रथम भाषण में किसानों को मजबूत बनाने की बात की है। 15 मिनट से भी ज्यादा मिनटों तक किसान और खेती से संबंधित मुद्दों पर श्री यादव संसद में बोलते रहे।

यादव ने दुख के साथ कहा कि आज मनरेगा का मजदूर भी ऐसे किसान से बेहतर है जिसके पास अधिकतम दो एकड़ जीमन है। मनरेगा योजना के तहत पांच सदस्य का परिवार, 200 प्रत्येक दर के हिसाब से एक दिन में हजार रुपए कमाता है जबकि दो एकड़ वाला किसान जमीन होने के बावजूद रोजाना 200 रुपए नहीं कमा पाता है।

गौरतलब है कि 70 के दशक के बाद कृषि उपज में बढा़वा हुआ है लेकिन किसानों की स्थिती अभी भी बिगड़ी है। मैं बुंदेलखंड से आता हूं और मुझे पता है कि किसान सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण गांव में तो नहीं लेकिन मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरी में रिक्शा चलाने को मजबूर हैं। पूरे हाउस ने यादव की बात शांति से सुनी।

स्वामीनाथन की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए चंद्रपाल सिंह ने कहा कि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है, लेकिन सरकार को कोई परवाह नहीं है कि आखिर किसानों को ये मिल रहा है कि नहीं। साथ ही डीजल, यूरिया, और बीज के कीमतों में हो रहे इजाफे ने किसानों की कमर तोड़ दी है, श्री यादव ने कहा।

चंद्र पाल ने साफ शब्दों में कहा कि उपज की रख-रखाव के लिए गांव स्तर पर प्रक्रमण इकाई की स्थापना होनी चाहिए, जिसका लाभ सिधे किसानों तक पहुंच पाएगा। उन्होंने कहा कि हर गांव में व्यापक सिंचाई योजना की शुरूआत की जाए। सतह का पानी और भूमिगत जल सिंचाई के मिश्रण पर बल दिया जाए, उन्होंने कहा।

उत्तर प्रदेश सरकार की चर्चा करते हुए श्री यादव यूपी के किसानों पर से ऋण के बोझ को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह को बधाई दी। सरकार की गलत नीतियों की वज़ह से आज किसान दर-दर की ठोकरे खा रहा हैं, यादव ने कहा

उन्होनें अपने भाषण में किसानों को ऋण प्रदान कराना, ग्राम स्तर पर मिट्टी परीक्षण, बीज की उपलब्धता जैसे अन्य मुद्दों को रेखांकित किया। लेकिन किसानों की सुरक्षा और किसानों को साठ की उम्र के बाद पेंशन देने की मांग पर उन्होंने बहुत बल दिया। हमें किसानों के दर्द को समझना होगा। किसानों का धन घट रह है, सामाजिक ताकत कम होता जा रहा है, यादव ने जोड़ा। उन्होने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने कुछ नहीं किया और एनडीए सरकार भी बड़े बड़े वादे करने के बावजूद अबतक विफल रही है।

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