वित्तीय स्थिति से जूझ रहे पूणे स्थित रुपए सहकारी बैंक को जल्द ही नया जीवन दान मिलने वाला है क्योंकि हाल ही में निर्वाचित भाजपा सरकार ने इस समस्या का हल निकालने का प्रयास तेज कर दिया है। भारतीय सहकारिता को पता चला है कि राज्य के सहकार मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने नफकब के अध्यक्ष डॉ मुकुंद अभ्यंकर के सामने बैंक का अध्यक्ष बनने की पेशकेश की है।
लेकिन अभ्यंकर ने बैंक को फिर से मजबूत बनाने एवं इसकी वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए पाटिल के सामने कुछ शर्तें रखी है। उन्होंने कहा कि उन्हें बैंक में दो से तीन निदेशकों की नियुक्ति की आजादी मिलनी चाहिए। गौरतलब है कि रुपए बैंक के पास लगभग छह लाख ग्राहक और करीब 36 शाखाएं है।
भारतीय सहकारिता ने इस सिलसिले में डॉ अभ्यंकर से बात की तो उन्होनें बताया”हां मैंने सहकार मंत्री पाटिल से मुलाकात की थी और मुलाकात में मैनें रुपए बैंक से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
भारतीय सहकारिता ने बैंक की देनदारी को लेकर जब अभ्यंकर से प्रश्न किया तो उन्होनें कहा कि मैंने मंत्री से 300 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता बिना ब्याज प्रदान करने का आग्रह किया है। मैं जल्द ही ये पैसा चुका दूंगा, अभ्यंकर ने जोड़ा।
सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में रुपए बैंक को कॉरपोरेशन बैंक के साथ विलय करने की दिशा में बातचीत चल रही है। पहले सारस्वत बैंक और फिर इलाहाबाद बैंक से इसकी पूर्व में बात-चीत विफल रही है। सैंकड़ों ग्राहक उम्मीद भरी नजर से आस लगाये बैठे हैैै। ये वो लोग हैं जिन्होनें अपनी मेहनत की कमाई बैंक में जमा की थी।
अभ्यंकर को बैंक का अध्यक्ष बनाने की प्रक्रिया संभवतः फरवरी के पहले सप्ताह तक स्पष्ट हो जाएगी। गौरतलब है कि नफकब के अध्यक्ष अभ्यंकर कॉसमॉस बैंक के साथ काफी समय से जुड़े हुए है।
इससे पहले अभ्यंकर ने आरबीआई के गवर्नर डॉ रघुराम रजन से भी रुपए बैंक के विषय में वार्तालाप की थी। उन्होनें कहा कि कोई भी यूसीबी 500 करोड़ रुपए का घाटा सहने की स्थिति में नहीं है और न ही बैंक के साथ विलय होने के लिए तैयार है। अगर रुपए सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है तो पूरे यूसीबी क्षेत्र को सुनामी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।