देश भर में लगभग 1700 शहरी सहकारी बैंक है और जिनमें से 480 से अधिक शहरी सहकारी बैंक कथित तौर पर एंटी मनी लांड्रिंग कानून के उल्लंघन मामले में भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई) की जांच के दायरे में हैं।
पीटीआई सूत्रों के हवाले से खबर है कि गड़बड़ी करने वाले शहरी सहकारी बैंकों के खिलाफ जुर्माना लगाने और शाखा विस्तार की मंजूरी नहीं देने जैसी सख्त पहल करने की शुरूआत केंद्रीय बैंक करने जा रही है।
आरबीआई ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को 489 शहरी सहकारी बैंकों की जांच करने का निर्देश दिया है ताकि अपने ग्राहक को जानिये (केवायसी), एंटी मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े दिशानिर्देश के पालन का पता लगाया जा सके।
शहरी सहकारी बैंकों के मनी लांड्रिंग का मामला केंद्रीय जांच एजेंसियों के लिए चिंता का विषय रहा है। इन बैंकों पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का दोहरा नियंत्रण है। आरबीआई इस मामलों में राज्य सरकारों से सहयोग की उम्मीद करता है और राज्यों को गड़बड़ी करने वाले बैंकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का परामर्श देता है।
सूत्रो का कहना है कि केंद्रीय बैंक ने नियमों का अनुपालन नहीं करने वाले ग्राहकों के खातों पर रोक लगाने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय आर्थिक जांच ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक शहरी सहकारी बैंकों के विस्तृत दायरे को देखते हुए उनकी अनियमितताएं गंभीर हैं क्योंकि उनकी 8,100 से अधिक शाखाओं में 2.09 लाख करोड़ रुपए की विशाल राशि जमा है और उन्होंने 1.35 लाख करोड़ रुपए का ऋण दिया है।
सूत्रों के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों की रेटिंग या वर्गीकरण के आधार पर वार्षिक या द्विवार्षिक आधार पर जांच की जाती है। करीब 70 प्रतिशत बैंकों की वार्षिक आधार पर जांच की जाती है। केंद्रीय आर्थिक जांच ब्यूरो के अधिकारियों ने आरबीआई को इस मनी लांड्रिंग वाले मूद्दे पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा है।
भारतीय सहकारिता ने इस विषय पर नफकब के अध्यक्ष एम.एल.अभ्यंकर का रुख जनाने के लिए फोन किया तो किसी वजह से संपर्क नही हो पाया। लेकिन भारतीय सहकारिता से पहले बातचीत में अभ्यंकर ने कहा था कि इस मुद्दे से सहकारी आंदोलन के अस्तित्व को खतरा है।