सोमवार को आयोजित एनसीयूआई चुनाव के असली नायक निस्संदेह प्रमोद कुमार सिंह थे। उनको 30 से अधिक वोट मिलें। लोगों को उनकी जीत पर शक था। महेश बैंक के रमेश बंग को केवल 2 वोट मिले।
मुझे अपनी जीत में शक होता तो मैं कभी चुनाव नहीं लड़ता- प्रमोद कुमार सिंह ने अपने अभियान की शुरूआत के बहुत पहले ही भारतीय सहकारिता से कहा था। लेकिन मुझे लगता है कि प्रतियोगिता उत्सुकतापूर्ण थी और संघर्ष स्पष्ट था क्यों कि यह सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है, सिंह ने कहा।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यू एस अवस्थी ने ट्वीट करके उनको जीत पर बधाई दी।
चूंकि श्री सिंह इफको के बोर्ड के निदेशक भी है, चुनाव के समय नैतिक समर्थन देने के लिए इफको के कई निदेशक मौजूद थे जिनमें कुछ नाम हैं -शीश पाल सिंह, प्रेमचंद मुंशी, एनपी पटेल।
प्रमोद की जीत में निर्णायक तत्व था उनका सकारात्मक स्वभाव। कई सहकार नेताओं ने भारतीय सहकारीता को उनकी नेकदिल स्वभाव और मित्रता की सराहना की। वह दोस्तों के दोस्त है, कई ने कहा।
मुदित वर्मा भी एक कमजोर उम्मीदवार नहीं थे और दबास के विपरीत, उन्हें निर्वाचित करना चाहने वाले जीसी में से कई वहाँ थे। कहा जा रहा है कि बीजेन्द्र सिंह प्रमोद के पक्ष में थे, हालांकि चन्द्र पाल प्रमोद के पक्ष में थे।
वर्मा के कैंप को हालांकि यह तर्क मंजूर नहीं है। उन लोंगों का कहना है बसपा सरकार के समय चंद्रपाल उन्हें ही चाहते थे लेकिन सपा सरकार के उत्तर प्रदेश में आ जाने से उनकी उपयोगिता खत्म हो गई।