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सहकारिता पर टैक्स : जेटली को अन्य देशों की जानकारी दी गई

सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मराठे समेत संस्था के कई प्रतिनिधियों ने पिछले सप्ताह केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जटेली के दिल्ली स्थित कार्यालय में मुलाकात की। इस मुलाकात में शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सोसाइटियों से संबंधित समस्याओं को श्री जटेली के संज्ञान में लाया गया।

प्रतिनिधिमंडल ने शहरी सहकारी बैंकों के ऊपर से आयकर के बोझ को खत्म करने की मांग की और कहा कि सहकारिता विश्व स्तर पर सहकारी बैंक इन कर कानूनों से मुक्त है।

सहकारी क्रेडिट यूनियन के विश्व संगठन (डब्लूओसीसीयू) के आंकड़ों का हवाला देते हुए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि एशिया में 67 प्रतिशत, अफ्रीका में 62 प्रतिशत, लैटिन अमेरिका में 81 प्रतिशत, कैरेबियन में 94 प्रतिशत और यूरोप में 38 प्रतिशत देशों में सहकारिता पर कोई कर कानून लागू नहीं है।

बातचीत में उठाए गए अन्य मुद्दें जैसे सभी यूसीबी को धारा 36(i) (vii) और 43 (D) के अंतर्गत कटौती दी जानी चाहिए।

प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में टीडीएस के संबंध में आयकर विभाग द्वारा जारी नोटिस को वापस लिया जाना चाहिए और 2015-2016 वर्ष के दौरान 10 हजार रूपए से लेकर 50 हजार रूपए टीडीएस में कटौती की जानी चाहिए।

सार्वजनिक नीति के तहत, भारत सरकार और आरबीआई को शहरी सहकारी बैंक के क्षेत्र में उन यूसीबी को तुरंत लाइसेंस देना चाहिए, जिनकी वित्तिय स्थिति काफी मजबूत है, प्रतिनिधिमंडल ने वकालत की।

वित्त मंत्री अरूण जटेली के ध्यान में लाया गया कि छोटे और बड़े देशों में जिनकी आबादी भारत की तुलना में बहुत कम है, उन देशों में शहरी सहकारी बैंक की बड़ी संख्या है। जैसे की ऑस्ट्रेलिया में 135, ऑस्ट्रिया में 570, फिनलैंड में 220, फ्रांस में 2500, अमेरिका में 8400 यूसीबी है और वहीं भारत में केवल 1600 शहरी सहकारी बैंक है।

यूसीबी को सारफेसी अधिनियम के तहत बैंकिंग संगठनों के रूप में मान्यता प्राप्त होनी चाहिए और क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम के तहत पात्र ऋण संस्थानों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।

आरबीआई को हाऊसिंग ऋण के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी करने चाहिए। शहरी सहकारी बैंको को सुकन्या समृद्धि खाता खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए और राष्ट्रीयकृत बैंकों को कोर बैंकिंग के अनुसार चलने वाले सहकारी बैंकों को शमिल किया जाना चाहिए। यूसीबी को प्रधानमंत्री योजना, जन धन योजना के अंतर्गत खाता खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए, सहकार भारती की प्रतिनिधियों ने मांग की।

इस मुलाकात में मराठे के अलावा गुजरात शहरी बैंक संघ के अध्यक्ष ज्योतिंद्र महेता, सहकार भारती के उपाध्यक्ष विघाधर वैशम्पायन, नैफकब के निदेशक, सह संयोजक, यूसीबी सेल, सहकार भारती से सतीश उटेकर, यूसीबी समिति और भारतीय बैंक संघ से ड़ी कृष्णा, नैफकब के भूतपूर्व सीईओ सहित दिल्ली सहकार भारती के अध्यक्ष नारायण गुप्ता शामिल थे।

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