एनसीसीएफ की निराश टीम मंत्रालय के आदेश को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए विचार-विमर्श कर रही है। गौरतलब है कि संस्था में सरकारी नोमनी ने एनसीसीएफ की मौजूदा बोर्ड पर आरोप लगाए थे, जिसको मद्देनजर रखते हुये मंत्रालय ने एनसीसीएफ के कामकाज को अगली सूचना तक स्थगित करने का आदेश दिया था।
इस मामले में एनसीसीएफ के उपाध्यक्ष विरेन्द्र सिंह ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि कोर्ट में दायर की जानी वाली याचिकाओं को तैयार किया जा रहा है और जैसे ही हम कोर्ट में केस दर्ज करेंगे तो मै अपको सूचित कर दूंगा। मैं अकेला नहीं हूं, पूरा निर्वाचित बोर्ड मेरे साथ एक पार्टी की तरह है, सिंह ने जोड़ा।
यह अजीब बात है कि सीबीआई जाँच खत्म होने से पहले ही बोर्ड को सुपरसिड करने के बजाय इसको स्थगित किया गया है, श्री सिंह ने पूछा। केंद्रीय रजिस्ट्रार के सामने उचित तरीका पंच फैसला लिए जाना था, सिंह के अनुसार। संस्था में प्रशासक के रूप में नियुक्त आईएएस अधिकारी पूरी समस्या के असली जाड़ है। सिंह ने जोड़ा
विरेन्द्र सिंह ने कहा कि एनसीसीएफ के पूर्व प्रबंध निदेशक और आईएएस अधिकारी श्री एम.के.परिदा जो एक बार फिर प्रशासक के रूप में नियुक्त किये गऐ है, हमें पिछले चार वर्षों से ब्लैकमेल कर रहे हैं। परीदा चाहते थे कि बोर्ड द्वारा अवैध नियुक्तियां की जाएं।
भारतीय सहकारिता के सीबीआई जांच के प्रश्न को लेकर विरेन्द्र सिंह ने गुस्से से भरे तेवर में कहा कि कौन-सी सीबीआई जांच, कहां है पूरा मामला और क्यों मुझे इस मामले में एक बार भी तलब नहीं किया गया, मुझे केवल धमकाने का प्रयास किया जा रहा है।
एनसीसीएफ के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जब सरकार ने मुझे कोई पैसा नहीं दिया, तब किस पैसे की वसूली करने का जिक्र किया जा रहा है।
पाठकों को याद होगा कि मंत्रालय ने पिछले सप्ताह जारी आदेश में कहा था कि एनसीसीएफ के पूर्व अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह के पिछले कार्यकाल के दौरान वित्तीय अव्यवस्था और कुप्रबंधन जैसे गंभीर आरोपों को मद्देनजर रखते हुए सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। एनसीसीएफ में 6 फरवरी 2015 के चुनाव में निदेशकों को सीबीआई जांच के चलते विरेन्द्र सिंह को संस्था के उपाध्यक्ष के रूप में चुना पड़ा और वहीं बहुराज्य सहकारी संघ के उपाध्यक्ष बिजेंद्र सिंह को एनसीसीएफ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया।
सरकार का अगर सहकारी संस्थाओं से कोई मतलब है तो सरकार को बोर्ड में अपने उम्मीदवारों को रखना चाहिए लेकिन पुरे प्रबंधन को अपने हाथ में लेने का क्या जरूरत है,विरेन्द्र सिंह ने याद दिलाया।
विरेन्द्र सिंह के साथ सहमति जताते हुऐ बिस्कोमॉन के अध्यक्ष डॉ सुनील सिंह ने कहा कि एआईआर 1983 पटना-114, 1989 पीएलजेआर 846 के अनुसार, निदेशमंडल के चुनाव को निरस्त नहीं किया जा सकता है जब की कोर्ट में याचिका दायर नहीं किया गया हो। यह स्पष्ट है कि कोई भी चुनाव पार्टी या सरकार के मर्जी पर नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि बहु-राज्य सहकारिता अधिनियम 2002 की धारा 84 (2) के तहत केवल केंद्रीय रजिस्ट्रार के पास चुनाव निरस्त करने का अधिकारी है।