एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने हाल ही में अनुदान सहायता में संशोधन के मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह से मुलाकात की थी।
पाठको को याद होगा कि मंत्रालय ने 3 दिसंबर को एक पत्र भेजा था, जिसमें एनसीयूआई के अध्यक्ष के अधिकारों में कटौती करने के लिये कहा गया था। पत्र के अनुसार, एनसीयूआई के अध्यक्ष एएनएफ ( प्रशासनिक और वित्त) विभाग के हेड नहीं होंगे। इस विभाग का कार्य संयुक्त सचिव वित्त द्वारा देखा जाएगा।
गौरतलब है कि जनवरी में एनसीसीटी की बोर्ड ने सरकार के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था।
चंद्र पाल सिंह ने कहा कि सिसोदिया के समय में जब शरद पवार मंत्री थे, तब प्रशिक्षण की निगरानी के लिए एक अलग इकाई बनाने की बात की गई थी। इस इकाई के लिए सरकार ने सौ करोड़ रुपए दिए थे और सहकारी क्षेत्र द्वारा सौ करोड़ रुपए इकट्ठा किया गया था। पांच साल के बाद यह निधि तीन सौ करोड़ रुपए हो गई थी। एनसीयूआई के अध्यक्ष और दो सरकारी नोमनी समेत दो कॉर्पोरेटर के साथ समिति का गठन किया गया था।
यादव ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि संशोधन की वजह से काम में रुकावट पैदा हो रही है और अनुदान सहायता में संशोधन के नियमनुसार वित्त अधिकार सयुंक्त सचिव के हाथ में होगा, उन्होंने कहा।
चंद्रपाल ने पूछा की जहां सरकार अनुदान सहायता प्रदान नहीं करती, वहां अनुदान सहायता के नियमों में संशोधन करने की क्या जरूरत है।
लेकिन हम देश भर में सहकारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करके संगठन को और मजबूत बनाएंगे। शीर्ष निकाय का अध्यक्ष होने के नाते यह मेरा कर्तव्य है कि मैं इन संशोधनों के बारे में मंत्री को बताऊं।
माननीय मंत्री जी ने वादा किया है कि इस मामले मेॆ विसंगतियों को अध्ययन कर उन्हें दूर किया जायेगा । सरकार के वर्चस्व को स्वीकार करने में हमें कोई परेशानी नहीं है और हम सरकार के अधीन कम करना चाहते हैं लेकिन इस मुद्दे पर सरकार द्वारा तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है, एनसीयूआई के अध्यक्ष ने भारतीय सहकारिता से कहा।
उन्होंने कहा कि समग्र निधि के चलते जब-सब कुछ ठीक चल रहा था तो इसमें संशोधन करने की क्या आवश्यकता थी।
इस वक्त हमें सहकारी अधिकारियों और कॉपर्रेटरों को सही ढंग से प्रशिक्षण देने पर जोर देना हैं, यादव ने रेखांकित किया।