सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था एनसीयूआई और किसानों की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको के बीच में समीकरण बदलता हुआ दिखाई दिया जब इफको के एमडी डॉ यू.एस.अवस्थी ने एनसीयूआई मुख्यालय में मंगलवार को आयोजित शिक्षा कोष समिति की बैठक में हिस्सा लिया। एनसीयूआई के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि डॉ यू.एस.अवस्थी ने पहली बार इस बैठक में भाग लिया था।
इससे पहले, अवस्थी अपने किसी प्रतिनिधि को इस बैठक में भेजा करते थे हालांकि अक्सर डॉ अवस्थी डॉ जी.एन.सक्सेना को बैठक में भेजा करते थे। इस बैठक से डॉ यू.एस.अवस्थी काफी खुश थे और उन्होंने कहा कि कमेटी के सदस्यों में बदलाव को देखकर मैं प्रेरित हुआ हूं। हमें पुरानी मानसिकता को खत्म करना होगा।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य बजटीय संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से आंवटन करना और सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता को बढाना होता है।
शिक्षा कोष समिति की बैठक में सात सदस्यों की निकाय होती है, जिसमें एनसीयूआई के अध्यक्ष, एनसीसीटी के महानिदेशक, वैकुण्ठ मेहता के हेड और अंशदायी सोसाइटी जैसे इफको और कृभको के दो सदस्यों समेत सरकार के प्रतिनिधि-केंद्रीय पंजयीक और वित्त सलाहकार होते है।
मंगलवार की बैठक में केंद्रीय रजिस्ट्रार राज सिंह, चंद्र पाल सिंह यादव, डॉ यू.एस.अवस्थी, कृभको के एमडी, डॉ दिनेश और संजीब पतजोशी ने हिस्सा लिया। इस बैठक में वित्तीय सलाहकार अनुपस्थित थे।
अध्यक्ष सहित अन्य प्रतिभागियों ने एक दुसरे के सुझावों को ध्यानपूर्वक सुना। मैंने सुझाव दिया कि ”सबसे महत्तवपूर्ण एजेंडा को सबसे ऊपर रखा जाये, मैनें अकसर देखा है कि जो एजेंडा ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होता वह शुरूआत में पेश कर दिया जाता और असली मुद्दे पर आते-आते सदस्य बैठक छोड़ कर चले जाते हैं,” इफको के एमडी ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा।
हम केवल केंद्रीय पंजीयक को सहकारी समिति के योगदान या फिर जो संस्था घाटे में चल रही है उसके बारे में पत्र लिखकर पंजीयक को सूचित करते रहेंगें और इसके साथ-साथ ऐसी सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों के साथ बातचीत भी करेंगे, अवस्थी ने बैठक में कहा।
पाठकों को पता होगा कि बहु राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम 2002 के नियम 25(1) के तहत हर बहु राज्य सहकारी सोसायटी हर साल अपने शुद्ध लाभ में से एक प्रतिशत सहकारी शिक्षा कोष में योगदान की तरह देगी, जो नई दिल्ली स्थित भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा पोषित किया जाता हैं।
एनसीयूआई का लगभग 330 करोड़ शिक्षी कोष के अंतर्गत बेकार पड़ा हुआ है। पाठकों को याद होगा कि डॉ जी.एन. सक्सेना ने 2012 में एनसीयूआई के ऑडिटोरियम के नवीकरण के लिए इस कोष से धन दिए जाने का विरोध किया था, जिसको लेकर सक्सेना और मुख्य कार्यकारी आधिकारी श्रीमती अनीता मनचंदा के बीच गंभीर मतभेद प्रकाश में आया था, भारतीय सहकारिता ने इस खबर को प्रकाशित की थी।
अब डॉ यू.एस अवस्थी का चंद्रपाल सिंह यादव के साथ बैठक में उपस्थित से ऐसा लगाता है कि मानो एक सपना सच हो गया हो। एक कार्पेर्रटर ने एनयीसूआई में कहा कि यह सहकारी आंदोलन के लिए शुभ संकेत है।