सरकार ने लोक सभा में सूचित किया कि यूरिया के उत्पादकों को अपने उत्पादन के अधिकतम अंश को नीम लेपित यूरिया के रूप में उत्पादन करने की अनुमति दी गई हैं।
इसके अलावा यूरिया के सभी उत्पादकों को वर्ष 2015-2016 के दौरान कम से कम 75 प्रतिशत नीम लेपित यूरिया का उत्पादन करना अनिवार्य होगा।
नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने नीम लेपित यूरिया पर रिसर्च किया था, इस रिसर्च से पता चला कि सामान्य यूरिया के इस्तेमाल से चावल की पैदावार में 6.3 प्रतिशत से 11.9 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
एनसीयू यूरीया की खपत को 10 से 15 प्रतिशत तक कम कर देती हैं। जहां तक पर्यावरण का संबंध है, धान की फसल में 30 प्रतिशत और गेहूं की फसल में 50 प्रतिशत यूरीया की आवश्यकता होती है। भूमीगत जल में नाइट्रेट प्रदूषण से 50 से 60 प्रतिशत यूरिया खत्म हो जाता हैं।
वहीं एनसीयू के मामले में यह संख्या घट जाती है और इससे 10 से 15 प्रतिशत तक भूमीगत जल प्रदूषण में भी कमी आती है। साथ ही एनसीयू का प्रयोग पर्यावरण के अनुकूल हैं।