गुजरात सरकार ने सहकारी संस्थाओं और बैंकों में “संरक्षकों” की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि पिछले कई वर्षों से सहकारी समितियों और बैंकों में पदाधिकारियों के चुनाव नहीं हो रहे हैं जिसको मद्देनजर रखते हुये समितियों में संरक्षक नियुक्त किये जा रहे हैं, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने इस खबर की पुष्टि की।
पाठकों को याद होगा कि गुजकोमॉसल में संरक्षक की नियुक्ति की खबर प्रकाशित होने के बाद इफको की बोर्ड ने नातू पटेल के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर चुप्पी साधी हुई है। इस मामले में इफको के एमडी डॉ यू.एस अवस्थी ने कहा कि कोर्ट में मामला लंबित है और फैसले आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी।
भारतीय सहकारिता ने कुछ समय पहले एक खबर प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक था “गुजरात के सहकारी क्षेत्र में सुनामी” इस खबर से कॉर्पेरेटरों के बीच में एक गंभीर चर्चा का विषय बन गया था। राज्य सरकार के इस निर्णय से इफको के निदेशक नातू पटेल और दूधसागर के अध्यक्ष विपुल चौधरी ने राहत भरी सांस ली हैं।
गुजरात सरकार ने पिछले महीने मेहसाणा जिला सहकारी बैंक और दूधसागर डेयरी में संरक्षक नियुक्त किये थे। गौरतलब है कि करीब 100 सहकारी संस्थाओं में कई सालों से पदाधिकारियों के चुनाव नहीं हुये हैं।
यह नियुक्तियां गुजरात सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक 2015 के अनुसार की गई है, जो हाल ही में गुजरात विधानसभा द्वारा पारित किया गया था और राज्यपाल ने इसे स्वीकृति कर दिया थी।
इस अधिनियम के तहत, जिन सहकारी संस्थाओं में लंबे समय से चुनाव नहीं हुये वहां सरकार के पास संरक्षक की नियुक्ति करने का अधिकार हैं।
हालांकि, दोनों संस्थाओं के प्रबंध समितियों ने संरक्षक की नियुक्ति के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
गुजरात सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेन ने कहा कि कोर्ट ने हाल ही में महेसाणा जिला बैंक में संरक्षक की नियुक्ति को रद्द किया था।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में अंतरिम आदेश देकर संरक्षक की नियुक्ति की मंजूरी दी है और उच्च न्यायलय के आदेश को रद्द कर दिया है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के पक्ष में आदेश दिया है, सूत्रों का कहना है कि 100 अन्य सहकारी संस्थाओं में संरक्षक की नियुक्त करने से पहले सरकार कोर्ट के अंतिम फैसले का इंताजार करेगी।