रुपया सहकारी बैंक की परिसंपत्तियों और देनदारियों को कॉरपोरेशन बैंक द्वारा नहीं लिये जाने की खबर सुनते ही सहकारी बैंक के लाखों जमाकर्ताओं के चेहरे पर निराश भाव उत्पन्न हो गया है, हिंदू अखबार के मुताबिक।
महाराष्ट्र राज्य के सहकारिता मंत्री ने कहा कि वह केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जटेली से मुलाकात कर उन्हें कॉरपोरेशन बैंक द्वारा रुपया सहकारी बैंक की परिसंपत्तियों और देनदारियों को लेने के बारे में चर्चा करेंगे।
इससे पहले, नफकब के अध्यक्ष डॉ मुकुंद अभ्यंकर को महाराष्ट्र सरकार द्वारा बैंक को संभालने के लिए अनुरोध किया गया था। अभ्यंकर जो कि कॉसमॉस सहकारी बैंक के निदेशकमंडल में है ने सरकार से बिना ब्याज के ऋण और अपने अनुसार अधिकारियों की नियुक्ति की मागं की थी।
रुपया सहकारी बैंक की देनदारियों को लेकर अभ्यंकर ने कहा था कि ''मैनें पाटिल से 300 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता बिना ब्याज दर के प्रदान करने का आग्रह किया है और कहा है कि मैं ये राशि जल्द से जल्द चुका दूंगा। लेकिन मौजूदा समय में बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए 1400 करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता है, इसके मद्देनजर यह मांग अनुचित नहीं है, उन्होंने कहा।
इससे पहले सारस्वत बैंक और इलाहाबाद बैंक ने रुपया सहकारी बैंक के साथ विलय के प्रास्तव को खारिज कर दिया था। अब महाराष्ट्र सरकार के पास दो उपाय हैं, या तो अभ्यंकर या फिर कॉरपोरेशन बैंक लेकिन कॉरपोरेशन बैंक से बातचीत से असफल हो जाने के बाद सरकार को मुकुंद अभ्यंकर की शर्तों को मान कर रूपया सहकारी बैंक का कार्यभार उन्हें ही सौंपने के अलावा कोई और उपाय नहीं हैं।