सहकारी बैंक ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने में अहम भूमिका निभा रहा है, इसको स्वीकारते हुये आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने सहकारी बैंकों की व्यावसायिकता पर जोर दिया। सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए दृढ़ प्रशासन और अधिक जवाबदेही की जरूरत है। रघुराम राजन ने सोमवार को मुंबई राज्य के मुख्य सचिव, वित्त सचिवों और सहकारी सचिवों के एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये ये बात कही।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष श्री यू.के.सिन्हा, नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ हर्ष कुमार ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।
श्री हारून आर.खान, डॉ उर्जित आर पटेल और श्री एस.एस.मुद्रा, उप गर्वनर, लेखा नियंत्रक जनरल (सीजीए), वित्त मंत्रालय, नीति आयोग, रिजर्व बैंक और सेबी के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में प्रशासनिक ढांचे, पूंजीकरण और संकल्प तंत्र को सुधारने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि सहकारी बैंक विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित समूहों को ऋणा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को कुशल शासन और पूंजी के बिना कभी मजबूत नहीं बनाया जा सकता है।
उन्होंने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में शीघ्र सुधारात्मक कार्रवाई पर बल दिया।
उन्होंने सुझाव दिया कि गुड बैंक – बैड बैंक मॉडल के जरिए गुड बैंकों को बुरे बैंको से अलग किया जा सके और बैड बैंकों से उचित रूप कार्रवाई करके निपटा जा सके।
आरबीआई ने अपनी पिछली वार्षिक रिपोर्ट में देखा था कि सहकारी बैंकों पर ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है। गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक ने जनवरी में एक कमेटी का गठन किया था जिसका कार्य शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के आकार, लाइसेंसिंग, और रूपांतरण आदि की पुन: परीक्षा कर सिफारिश देना था।