भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही “सेंट्रल फ्रॉड रजिस्ट्री” का गठन करेगा, जो बैंकों की लेनदेन और ऋण पर कड़ी नजर रखकर उन्हें जालसाजी करने वालों से बचाएगा।
यह रजिस्ट्री आरबीआई के अंतर्गत कार्य करेगी और बैंकिंग क्षेत्र में अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी को तत्काल साझा करेगी। उदाहरण के लिये, ऋण देने के समय में, बैंक रजिस्ट्री का उपयोग करके ऋणा लेने वाले की जांच-पड़ताल कर सकता है।
इसके अतिरिक्त, सीबीआई और केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) ने बैंकों के साथ डेटाबेस शेयर करने में रूचि दिखाई है, जो केंद्रीय खोज डेटाबेस के साथ जुड़ कर बैंकों को अपने संचालन में मदद कर सकती है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2014 तक पीएसयू बैंकों का ग्रॉस एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) 2,60,531 करोड़ रुपये था और इसमें से शीर्ष 30 डिफॉल्टरों के पास बैंकों का 95,122 करोड़ रुपय फंसा है, जो पीएसयू बैंकों के पूरे एनपीए का एक-तिहाई से भी अधिक है