केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 3900 करोड़ रुपये की लागत से कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) को बनाए रखने और सशक्त बनाने और स्थापित करने को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना के अंतर्गत व्यापक गतिविधियों को कार्यान्वित करने के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान मौजूदा 642 केवीके को बनाए रखने तथा 109 नए केवीके स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
इस योजना के अंतर्गत नए संघटकों यथा कृषि में आईसीटी, फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम, खेत नवाचार कोष, आपदा प्रबंधन कोष, प्रौद्योगिकी सूचना इकाइयां, लघु बीज प्रसंस्करण सुविधाएं, लघु पोषक तत्व विश्लेषण सुविधाएं, सौर पैनल, केवीके और केवीके नेट, विशिष्ट केवीके एवं ई-फार्मर्स प्रारंभ करना है।
इसके साथ-साथ एकीकृत कृषि प्रणाली, वर्षा जल संभरण संरचनाएं, मृदा एवं जल परीक्षण प्रयोगशालाएं, न्यूनतम प्रसंस्करण सुविधाएं आदि जैसे मौजूदा संघटकों को जारी रखने, 16 नए कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्रों (एटीआईसी), विशेषज्ञ प्रणाली पर नेटवर्क परियोजना तथा नई विस्तृत कार्य पद्धतियों एवं दृष्टिकोणों की स्थापना को शामिल किया गया है। इस योजना में राज्य और केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तृत शिक्षा निदेशालय (डीईई) को भी सहायता प्रदान करने का प्रावधान है।
इस योजना में क्षेत्रीय परियोजना निदेशालयों की संख्या मौजूदा 8 से बढ़ाकर 11 करने तथा क्षेत्रीय परियोजना निदेशक का एक पद तथा तीन नए क्षेत्रीय परियोजना निदेशालयों में से प्रत्येक के लिए एक प्रधान वैज्ञानिक का पद सृजित करने का भी प्रस्ताव है।
कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि क्षेत्र में एक अनूठा मॉडल है, जो किसानों को प्रौद्योगिकी की जरूरत पूरी करने के लिए कार्य करता हैं। कृषि विज्ञान केंद्र जिला स्तर पर ज्ञान और संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करता है और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अच्छी भूमिका निभाता हैं।