आरआईसीएम और आईसीएम के संकाय सदस्यों के लिये टीटीटी कार्यक्रम, जो 15 जून को आरंभ हुआ था वह 18 जून को संपन्न हुआ। इस समापन समारोह में एनसीयूआई और एनसीसीटी के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव मुख्य अतिथि थे।
अपने संबोधन में डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने आरआईसीएम और आईसीएम के संकाय सदस्यों के लिये टीटीटी कार्यक्रम की विशेषता पर बल दिया और कहा कि इसके जरिए प्रशिक्षण में कार्यप्रणाली और मूल्यांकन की नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यादव ने कहा कि कार्यक्रम से प्राप्त ज्ञान और कौशल को संबंधित संस्थानों में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सफल बनाने में लगाया जाए।
उन्होंने सभी प्रतिभागियों को कार्यक्रम पूरा होने पर बधाई दी। यादव ने समापन समारोह में प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट भी वितरित किये। इस समारोह में आईसीएम, देहरादून के अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह भी उपस्थित थे।
इससे पहले एनसीसीटी के सचिव मोहन मिश्रा ने अध्यक्ष का स्वागत करते हुये कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने आरआईसीएम और आईसीएम के 20 संकाय सदस्यों का कार्यक्रम में भाग लेने का भी जिक्र किया।
इस कार्यक्रम को एनसीसीटी और प्रशिक्षण के लिये भारतीय सोसायटी और दिल्ली चैप्टर विकास और प्रशिक्षण की आवश्यकता और नया संकल्पना (टीआरएएनसी) द्वारा आयोजित किया गया था।
चार दिवसीय कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण, वयस्कों के सीखने के सिद्धांतों, प्रशिक्षकों की भूमिका, प्रशिक्षण की पहचान, प्रशिक्षण पद्धति को डिजाइन करना, सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। डॉ नन्दितेश निलय, निदेशक, फोस्टर ट्रेनिंग सर्विसेज, डॉ उपेंद्र धर, वाइस चांसलर, एमिटी विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, श्री गोविंद राजूलू, संयुक्त निदेशक, आईएसटीएम, नई दिल्ली द्वारा कार्यक्रम सत्र आयोजित किया गया था।
कक्षा इंटरैक्टिव सत्र के अलावा प्रशिक्षकों ने अन्य शिक्षण तकनीकों का इस्तेमाल किया जैसे अभ्यास, केस स्टडीज और गेम्स आदि।
अपनी प्रतिक्रिया देते हुये प्रतिभागियों ने एनसीसीटी के अधिकारियों द्वारा आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्हें लगा कि इस कार्यक्रम से निश्चित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम को तैयार करने में मजूबती मिलेगी। गौरतलब है कि इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री मोहनभाई कल्यांजीभाई कुन्दरिया द्वारा किया गया था।