20 मई को भारतीय सहकारिता ने एक स्टोरी प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक था “क्या रुपया बैंक का कार्यभार अभ्यंकर को सौंपा जाएगा” और 28 मई को श्री मुकुंंद अभ्यंकर ने तीन सदस्यीय प्रशासनिक बोर्ड के साथ अध्यक्ष के रूप में बैंक का कार्यभार संभाला।
दो अधिकारी में से एक पुणे स्थित जनता सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री अरविंद खलेडकर हैं और दूसरे श्री सुधीर पंडित-चार्टर्ड एकाउंटेंट है। पाठकों को याद होगा कि पिछले माह रुपया सहकारी बैंक की परिसंपत्तियों और देनदारियों को कॉरपोरेशन बैंक द्वारा नहीं लिये जाने की खबर सुनते ही सहकारी बैंक के लाखों जमाकर्ताओं के चेहरे पर निराशा का भाव उत्पन्न हो गया था।
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार में संयुक्त रजिस्ट्रार संजय भोसले रुपया बैंक में प्रशासक के रूप में कामकाज देख रहे थे। यह उनका अतिरिक्त प्रभार था और वह बैंक को पुनर्जीवित करने के मुद्दों पर अधिक ध्यान नहीं दे पाते थे।
श्री अभ्यंकर ने पूर्व शर्तों के अनुसार ओटीएस (वन टाइम-सेटलमेंट) की मांग की है।'' मैनें रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर श्री गांधी के साथ विचार-विमर्श किया और नियामक का हमारे अनुरोध के प्रति सकारात्मक विचार है, अभ्यंकर ने भारतीय सहकारिता से कहा। हमें उनकी अनुमति जल्द ही मिलने वाली है'', उन्होंने कहा।
बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए उधारकर्ता आगे आ रहे है और वहीं उनमें से कुछ मूल राशि के साथ-साथ उचित ब्याज देने पर सहमत हो गए हैं, अभ्यंकर ने अपने अगले कदम के बारे में बताया। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने 21 मई से 21 अगस्त तक समय सीमा को बढ़ा दी है। ''व्यावहारिक रूप से हमें काम करते हुए आधा माह हो गया है लेकिन अगर ओटीएस हमारे हाथ में आ जाएगा तो हम इस प्रयोग को सफल बनाने में सक्षम होंगे,'' अभ्यंकर ने कहा ।