वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) ने भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत एफआरआई नीम के पेड़ों की संख्या को बढ़ाने और उच्च किस्म के नीम पौधों का निर्माण करेगा, जिसका उपयोग 100 प्रतिशत नीम लेपित यूरिया का उत्पादन करने में किया जाएगा।
इस अच्छी खबर को सुनते ही इफको के एमडी डॉ यू.एस.अवस्थी जो अभी बेलारूस के दौरे पर है, ने ट्वीट किया कि “मुझे खुशी हो रही है यह बताते हुये कि इफको ने वन अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर नीम पर अनुसंधान एवं विकास परियोजना की शुरूआत की है। नीम के बीज और तेल की गुणवत्ता पर काम किया जाए”।
उल्लेखनीय है कि नीम लेपित यूरिया मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखता है और मिट्टी को कीड़ों से बचाने के काम करता है। एनडीए सरकार इसके उपयोग में वृद्धि पर लगातार बल दे रही है।
इफको के निदेशक प्रमोद कुमार सिंह ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया, जबकि वन अनुसंधान संस्थान, निदेशक, डॉ सविता, ने संस्थान की ओर से हस्ताक्षर किया। इफको के निदेशक ने 21 लाख रुपये का चेक पहली किस्त के रूप में एफआरआई को सौंपा। गौरतलब है कि इफको तीन वर्षीय प्रोजेक्ट के लिये 93 लाख रुपय एफआरआई को देगा।
प्रमोद कुमार का फेसबुक पेज हस्ताक्षर समारोह की तस्वीरों से सजा हुआ था। यहां तक कि उर्वरक क्षेत्र नीम लेपित यूरिया के लिये इफको के निर्णायक कदम के साथ चर्चा में है।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में प्रमोद सिंह ने कहा कि नीम लेपित यूरिया फसलों की पैदावार को बढ़ाता है। नीम लेपित यूरिया के कम उपयोग से मिट्टी में नाइट्रोजन की दक्षता बढ़ती है और साथ ही कीड़ो के कम प्रकोप से फसल को नुकसान होने से बचाता है।
इस मौके पर एफआरआई की निदेशक डॉ सवीता ने कहा कि वैज्ञानिकों का बीज और तेल की मात्रा के संदर्भ में उत्पादकता में सुधार लाने का उद्देश्य है। वैज्ञानिकों ने कहा कि नीम लेपित यूरिया वृक्षारोपण के लिये आनुवंशिक रूप से अच्छे बीज उपलब्ध कराएगा। डॉ सवीता ने कहा कि नीम औषधीय वृक्ष के रूप में जाना जाता है।