बिस्कोमॉन का मामला जल्द ही पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए जा सकता है। बिस्कोमॉन का केस नंबर 16 है और इस सप्ताह उच्च न्यायालय के संज्ञान में पूरा मामला लाए जाने की उम्मीद है, विनय शाही जो राज्य सरकार के साथ-साथ याचिकाकर्ताओं में से एक है, ने कहा।
विनय ने कहा कि मामला 10 जुलाई तक कोर्ट के समक्ष रखा जा सकता है। ''मैंने एमएससीएस अधिनियम को चुनौती देते हुए एक नई याचिका दायर की है"। एमएससीएस अधिनियम के अनुसार कोई भी सहकारी संस्था अगर राज्य से बाहर अपने कारोबार का विस्तार करती है तो वह अपने आप बहु राज्य सहकारी संस्था बन जाती है।
पाठकों को याद होगा कि बिहार और झारखंड के विभाजन के बाद बिस्कोमॉन स्वचालित रूप से बहु राज्य सहकारी संस्था बन गई हैं। इसके साथ-साथ केंद्रीय रजिस्ट्रार राज सिंह ने भी बिस्कोमॉन को बहु राज्य सहकारी संस्था घोषित करने का आदेश जारी किया है।
राज्य सरकार द्वारा इस आदेश को चुनौती दी गई है, तब तक जब तक विपणन सहकारी संघ बकाया राशि को भुगतान नहीं कर देती।
इसे असंवैधानिक बताते हुये विनय शाही ने कहा कि बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह और केंद्रीय रजिस्ट्रार दोनों ने बिस्कोमॉन को बहु राज्य इकाई घोषित किया है और अब हमने अधिनियम में प्रावधान को चुनौती देने का फैसला लिया है।
तथ्य यह है कि राज्य सहकारी के चुनाव में सुनील को लगा था कि उनका बिहार में कोई भविष्य नहीं था, जब चुनाव में उनके सहयोगी को हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें पता था कि अगर बिहार चुनाव प्राधिकरण द्वारा चुनाव प्रक्रिया कराई जाती तो वह अपने मनपसंद चुनाव अधिकारी को नियुक्त करने में असफल रह जाते और यही मामला बहु राज्य के साथ हुआ, शाही ने सुनील की रणनीति का उल्लेख दिया।
शाही को पूरा भरोसा है कि अगर मामला उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए गया तो सुनील का कोई भविष्य नहीं रहे जाएगा, वह बस कुछ दिनों के लिए अध्यक्ष है। उनका काउंटडाउन शुरू हो गया है, शाही ने कहा।
सुनील सिंह ने शाही पर निशाना साधते हुये कहा कि'' मुझे निकालने को लेकर दिन में सपने देखे जा रहे हैं। मैं अब यहां पर कई सालों के लिए हूं और वह मेरा कुछ नहीं बिगड़ सकते हैं''।
बिस्कोमॉन को अतीत में कई अदालती मामलों का सामना करना पड़ा है और जब हम अतीत में राज्य सरकार को रोकने में सफल रहे हैं तो अब उनसे कुछ नहीं होने वाला है, उन्होंने कहा.