जामिया सहकारी बैंक के अध्यक्ष मिर्जा कमरूल हसन बेग, केंद्रीय बजट से नाखुश है क्योंकि बजट में सहकारी क्षेत्र के हित में कुछ भी नहीं कहा गया। “मुझे मोदी सरकार से बहुत उम्मीदें थी लेकिन उनके बजट ने निराश किया है, उन्होंने भारतीय सहकारिता के साथ विशेष बातचीत में कहा।
सहकारी आंदोलन ही एकमात्र आंदोलन है जिसके जरिए निचले स्तर यानि गरीब लोगों तक पहुंचा जा सकता है, बैंक के अध्यक्ष ने कहा। जामिया सहकारी बैंक ने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि की है।
जामिया सहकारी बैंक की स्थापना 1995 में हुई थी और देश की राजधानी दिल्ली में बैंक की आठ शाखाएं है। बैंक के करीब 13,000 सदस्य है और बैंक ने पिछले वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान करीब 5 करोड़ 64 लाख रूपए का लाभ अर्जित किया था, आयकर से पहले।
बैंक के अध्यक्ष ने बताया कि हमने बैंक की सभी शाखाओँ में अपने ग्राहकों को एटीएम की सुविधा प्रदान करवाई है।
सहकारी बैंकों के ऊपर से आयकर के बोझ को खत्म किया जाना चाहिए, उन्होंने अपने बैंक का हवाला देते हुए कहा कि हमने पिछले वित्त वर्ष के दौरान करीब 2 करोड़ रूपये का टैक्स दिया था। आयकर बोझ के खत्म होने से हम ज्यादा से ज्यादा गरीब लोगों की मदद करने में सक्षम होंगे, बैंक अध्यक्ष मिर्जा कामरूल हसन ने कहा।
सहकारी बैंकों ने समाज के गरीब लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में अहम भूमिका निभाई है। जामिया सहकारी बैंक जिसने काफी कम समय में लोगों के प्रति विश्वास की भावना को बनाया रखते हुये उनकी उम्मीदों पर खरा उतरा है।
पाठकों को याद होगा कि अतीत में भारतीय रिजर्व बैंक ने जामिया सहकारी बैंक पर नियमों का उल्लंघन करने पर 2 लाख रूपय का जुर्माना लगाया था। हमने कभी भी बैंक के निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को ऋण नहीं प्रदान की, बैंक के अध्यक्ष ने कहा।
मैंने अपने कार्यकाल के दौरान कोर बैंकिंग सोल्यूशन, एटीएम, जैसी सुविधा मुहैया कराई है और जल्द ही हम 24 घंटे ई-लोबी का शुभारंभ करने जा रहे हैं, जिससे की किसी भी समय ग्राहक बैंक से लेन-देन करने में सक्षम हो सकता है।
हमारे बैंक को विभिन्न पुरस्कारों से नावाजा गया है, हमें दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बेस्ट सहकारी बैंक पुरस्कार से सम्मानित किया था, बैंक के स्वर्गीय संस्थापक मिर्जा फेरीदूल हसन बेग को बेस्ट कॉरपोर्रेटर पुरस्कार से नवाजा गया, अध्यक्ष ने बड़े गर्व से कहा।