भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की गुरुवार को हुई शासी परिषद की बैठक में एनसीसीटी के सचिव को एनसीयूआई में वापस लाने के मुद्दे पर चर्चा हुई।
एनसीसीटी के सचिव मोहन मिश्रा को स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को शासी परिषद की बैठक द्वारा पारित किया गया।
शासी परिषद के सदस्य प्रमोद कुमार सिंह ने मिश्रा को एनसीयूआई में वापस लाने की मांग की। गौरतलब है कि सिंह आईसीएम देहरादून के अध्यक्ष है और कहा जाता है कि उनके एनसीसीटी के सचिव से अतीत में कई मुद्दों पर मतभेद रहें थे।
मिश्रा का समर्थन करते हुए सरकारी नॉमिनी ज्योतिंद्र मेहता ने कहा कि मिश्रा के नेतृत्व में एनसीसीटी का वित्तीय स्वास्थ्य और एनसीसीटी द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मजबूती आई है।
इसके अलावा, मेहता ने कहा कि सरकार ने उनके कार्यकाल को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है और यह मामला यहीं समाप्त होता है। भारतीय सहकारिता इसकी पुष्टि नहीं कर सका क्योंकि मेहता को गुजरात के लिए उड़ान भरनी थी लेकिन उन्होंने वादा किया है कि वह बाद में इस बारे में विस्तार से बात करेंगे।
प्रमोद सिंह ने कहा कि एनसीयूआई को इस वित्तीय वर्ष तीन करोड़ रूपये का घटा हुआ है (लेखा परीक्षा की रिपोर्ट जीसी बैठक में रखी गई) और इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि उन्हें एनसीयूआई की देखभाल करने के लिए शिफ्ट किया जाए।
जब भारतीय सहकारिता ने पूछा कि इस मुद्दे पर सरकार का क्या कहना है तो उन्होंने बताया कि हमने उनको वापस लाने के प्रस्ताव को पारित किया और उपनियमों के अनुसार एनसीयूआई बोर्ड पर अपने कर्मचारियों के प्रति सक्षम प्राधिकार है। अगर सरकार उन्हें रखने में दिलचस्पी रखती है तो उन्हें पहले एनसीयूआई से इस्तीफा देना होगा, उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि स्थित खराब होने पर हम अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। एनसीयूआई के अध्यक्ष की अपनी मजबूरी हो सकती है लेकिन मैं एक कॉर्पोरेटर हूं औऱ मुझे इस बात को कोर्ट में लेने जाने में कोई हिचक नहीं होगी, प्रमोद ने कहा।
जबकि मोहन मिश्रा ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से साफ इनकार किया है, इस विषय में एनसीयूआई के अध्यक्ष से अभी फोन पर संपर्क नहीं हो सका। लेकिन सूचना मिली है कि चंद्र पाल ने कहा है वह इस मुद्दों पर सदस्यों की प्रतिक्रिया के बारे में मंत्रालय को जानकारी देंगे।