मीडिया के साथ बातचीत में एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने कहा कि एनसीयूआई सरकार के साथ सुप्रीम कोर्ट में 97 वां संवैधानिक संशोधन बिल पर सह-याचिकाकर्ता है।
यादव ने कहा कि इस बिल पर गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को खारिज करने का प्रयास करेंगे। हम सरकारी अधिवक्ताओं के साथ मिलकर लडेंगे।
डॉ चंद्रपाल सिंह ने कहा कि 4 वीं पंचवर्षीय योजना के बाद से सहकारी समितियों को नियोजन प्रक्रिया से पूरी तरह से दूर रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बजट में सहकारी समितियों के योगदान को हमेशा नकारा जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि कई सहकारी समितियों में कुशल प्रबंधन न होने की वजह से वे बंद की कागर पर आ गई है। यादव ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद ने पिछले वर्ष 1500 कार्यक्रमों के लक्ष्य को पार कर 2315 कार्यक्रम आयोजित किये।
उन्होंने मीडिया कर्मियों को सूचित किया कि हाल ही में कृषि मंत्री ने एचआरडी मंत्री को पत्र लिखकर उन्हें स्कूलों के पाठ्यक्रमों में सहकारिता से संबंधित विषय को शामिल करने को कहा है। एनसीयूआई के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, महेन्द्रगढ़ एवं भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, सोनीपत के साथ भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने एम.ओ.यू. हस्ताक्षर किये हैं ताकि विश्वविद्यालयों में सहकारिता की पढ़ाई को प्राथमिकता मिले और सहकारी क्षेत्र का व्यावसायिकरण हो।
मैने सरकार से अनुरोध किया है कि वे अपने बजटीय भाषण या फिर 15 अगस्त के अवसर पर सहकारी मॉडल की प्रशंसा में एक शब्द कहे लेकिन सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है। कुछ शब्द सहकारी आंदोलन से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करने का काम करेंगे।
इस मौके पर मत्स्य श्रमिक, शक्कर मिल और शहरी साख राष्ट्रीय सहकारी संस्थायों के प्रबंधक निदेशक भी मौजूद थे। करीब 50 पत्रकारों ने प्रेस वार्ता में भाग लिया।