भारतीय सहकारिता ने सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मराठे से तब बात की जब इफको की बोर्ड ने वर्ष 2015 के सहकारिता रत्ना पुरस्कार से मराठे को सम्मानित करने का फैसला लिया।
बातचीत के अंश प्रस्तुत हैं:
भारतीय सहकारिता: यह पुरस्कार प्राप्त करते हुए आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
सतीश मराठे: सच बताऊ तो, मैं विनम्र महसूस कर रहा हूं। भारगव जी ने मुझे फोन किया और कहा कि 1978 से आप सहकारी आंदोलन में सक्रिय हो इसलिए इफको ने आपको इस पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया है। इफको मानता है कि सहकार भारती ने अभी तक जो कुछ भी किया है वे अभी अदृष्य होगा लेकिन आने वाले दिनों में राज्यों में इसका गहरा असर दिखाई देगा।
भारतीय सहकारिता: आपको यह खबर कहां से मिली?
सतीश मराठे: मुझे मंगलवार की शाम को एक मेल प्राप्त हुआ था और इससे पहले श्री भारगवा ने मुझे फोन करके इस बारे में जानकारी दी थी।
भारतीय सहकारिता: क्या इफको के एमडी डॉ यू.एस अवस्थी ने भी आपको फोन किया था?
सतीश मराठे: शायद उन्होंने फोन किया हो लेकिन मैं मंबई से बाहर था और मेरा फोन भी नहीं लग रहा था। हमने अभी तक बात नहीं कि लेकिन मैं उनसे बातचीत करूंगा।
भारतीय सहकारिता: इफको के बारे में आपकी क्या राय है?
सतीश मराठे: मैं सहकारी आंदोलन से कई सालों से जुड़ा हुआ हूं, मैं किसानों की दशा को सुधारने के लक्ष्य में इफको की पहल की सराहना करता हूं। वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।
भारतीय सहकारिता: क्या आपने कभी डॉ यू.एस.अवस्थी से मुलाकात की है?
सतीश मराठे: हां मैंने कई सहकारी समारोह में उनसे मुलाकात की है। हमने कई साल पहले डॉ अवस्थी को मुख्य वक्ता के रूप में बैंगलोर में आयोजित सहकार भारती के एक समारोह में आमंत्रित किया था। मुझे आज भी याद है उन्होंने “सहकारी समितियों में नवाचारों” पर भाषण दिया था।