उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) की बुधवार को आयोजित विशेष आम सभा की बैठक में बड़ी संख्या में कॉर्पोरेटरों ने शिरकत की। बैठक को संबोधित करते हुए बिजेन्दर सिंह ने कहा कि “हम यहां आज एक साथ है यह हमारा सौभाग्य है”।
पाठकों को याद होगा कि हाल ही में न्यायलय द्वारा एनसीसीएफ की निलंबित बोर्ड को पुन: बहाल किया गया है। इस अवसर पर बिजेन्दर सिंह ने कहा कि एनसीसीएफ को दो साल के भीतर तीन बार निलंबित किया गया लेकिन मैं इस बारे में गहराई से बात नहीं करना चाहता हूं।
उनके भाषण से साफ तौर से स्पष्ट था कि एनसीसीएफ के अधिकारियों की वजह से एनसीसीएफ के व्यापार को घाटा हुआ है। हालांकि कागज पर 4 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्शाया गया है लेकिन वास्तव में संस्था को 10 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। सिंह ने लाभ का गणित समझाते हुए कहा कि व्यापार सहयोगियों की जमा राशि और एफडी को दिखाकर लाभ दिखाया गया है। एमडी ए.के.जैन ने बिजेन्दर के दावे पर सहमति व्यक्त की।
लेकिन एसजीएम में आशा और उत्साह की भावनाओं की निर्बाध अभिव्यक्त थी। एनसीसीएफ के एमडी, अध्यक्ष और सरकारी नॉमनी संजय सराफ ने संगठन को आगे बढ़ाने की कसम खाई।
शामिल होने से पहले मैंने राम विलास पासवान से मुलाकात की और उन्हें बताया कि मैं तभी शामिल होऊंगा जब आप हमें समर्थन देंगे और मैं खुश हूं कि उन्होंने और सचिव ने बिना शर्त के समर्थन की पेशकश की है, बिजेन्दर ने प्रतिनिधियों को सूचित किया।
अदालतों में निरंतर लड़ाई ने कर्मचारियों, व्यापार सहयोगियों और सहकारी के लिए अनिश्चितताओं की स्थिति पैदा कर दी है। जहां तक मेरा संबंध है मेरे पास कई काम है लेकिन मैं संगठन के भविष्य के लिए चिंतित हूं, बिजेन्दर ने कहा।
बिजेन्दर ने ईमानदारी से काम करने का वादा किया और संस्था को ओर ऊंचाई तक ले जाने का भरोसा दिया।
सुनील सिंह जो कि दर्शको में मौजूद थे, ने कहा कि अतीत में कामकाज में पारदर्शिता की कमी थी। उन्होंने कहा कि दलाल लोगों को व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और असली सहकारी समितियों को व्यापार से दूर रखा जाता है।
खाली मंच ने सुनील की टिप्पणी की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि यहां तक कि एक पैक्स की बैठक में इससे अधिक लोग उपस्थिति होते है। मंच पर सिर्फ चार लोग डॉ चंद्रपाल सिंह, बिजेन्दर सिंह, एमडी ए.के.जैन और सरकारी नॉमनी संजय सरफ विराजमान थे।
एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव जो कि एनसीसीएफ की बोर्ड में भी शामिल है, ने एजीएम के माध्यम से उप नियमों में संशोधन करने का वादा किया जिससे कि वास्तविक सहकारी समितियां हतोत्साहित नहीं हो सकेगी।