मत्स्यपालन

अच्छे प्रदर्शन के बावजूद फिशकॉपफेड घाटे में

फिशकॉपफेड के प्रबंध निदेशक बी.के.मिश्रा के कार्यकाल के दौरान पहली बार पिछले वित्त वर्ष के दौरान मत्स्य सहकारी संस्था को घाटा हुआ है। उन्होंने एक बार फिर कहा कि सरकार के सहयोग के बिना सहकारी समिति के लिए आगे बढ़ाना बहुत मुश्किल भरा काम है।

बी.के.मिश्रा ने बुधवार को भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि हमें अभी तक बीमा कंपनी ने सर्विस चार्ज के रूप में 1.2 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। हमें वास्तव में इस साल 60-70 लाख रुपये का घाटा हुआ है, उन्होंने कहा।

मिश्रा ने यह सब बातें नई दिल्ली में मत्स्य सहकारी संस्थाओं की राष्ट्रीय संस्था (फिशकॉपफेड) की 37वीं वार्षिक आम बैठक के अवसर पर कहा। इस बैठक में 50 से अधिक प्रतिनिधियों ने शिरकत की।

फिशकॉपफेड के एमडी ने बताया कि 1982 में 10 हजार मछुवारों को 15 हजार रुपये का बीमा कवर दिया गया और आज 46 लाख मछुवारों को 2 लाख का बीमा कवर दिया जा रहा है। एमडी ने सूचित किया कि सरकार 5,000 रुपये हर साल मछुवारों को प्रशिक्षत करने के लिए निधि के तौर पर देती है। हमारे पास 30 लाख मछुआरें है और अगर इस तरह से चलता रहा तो हमें उन्हें प्रशिक्षत करने में 600 साल का वक्त लगेगा।

प्रधानमंत्री मोदी के भारत में नीली क्रांति के सपने पर एमडी ने कहा कि देश में नीली क्रांति सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही संभव हो सकती है क्योंकि अतीत में दुग्ध क्रांति और हरित क्रांति सहकारिता के माध्यम से संभव हुई थी।

फिशकॉपफेड के अध्यक्ष और नगपुर के भाजपा नेता प्रकाश लोनारे ने कहा कि सरकारों द्वारा मत्स्य क्षेत्र को उपेक्षित किया जा रहा है। कोई भी सरकार मछुआरों की समस्या के बारे में जागरूक नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि मोदी सरकार को भारत के मछुआरों के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करनी चाहिए।

उन्होंने इस मौके पर घोषणा कि की 21 नवंबर को विश्व मत्स्य दिवस का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विज्ञान भवन में किए जाने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम के अध्यक्ष राजपाल कश्यप इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित थे। कश्यप ने कहा कि सरकार द्वारा मत्स्य क्षेत्र को उपेक्षित किया जा रहा है और कोई भी नीति मछुआरों के हित में तैयार नहीं की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर देश में नीली क्रांति लानी है तो हमें सहकारिता को मजबूत बनाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि संसदीय सत्र के समय हम मत्स्य कॉर्पोरेटरों के साथ मिलकर धरना प्रदर्शन करेंगे।

फिशकॉपफेड के एमडी ने कहा कि मछुआरें की जिंदगी किसान से ज्यादा जोखिम में है। उन्होंने मांग कि की निधि एनएफडीबी को देने की बजाए सीधे फिशकॉपफेड को आंवटित की जानी चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मंत्री से लखनऊ में फिशकॉपफेड के क्षेत्रीय कार्यालय को खोलने में मदद की मांग की।

 

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