भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने पिछले सप्ताह नई दिल्ली में एनसीयूआई मुख्यालय में "स्व-सहायता समूहों को कायम रखना और संस्था को बढ़ावा देने" पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया था। इस व्याख्यान का उद्घाटन नाबर्ड के महाप्रबंधक जी.आर.चिंतला ने किया, जो इस समारोह में मुख्य अतिथि भी थे।
प्रतिभागियों का संबोधित करते हुए महाप्रबंधक ने कहा कि भारत में 80 लाख स्व-सहायता समूह है जिससे करीब 10 करोड़ महिलाएं जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश, तामील नाडू, तेलंगाना की 30 प्रतिशत महिलाएं इन समूहों से जुड़े हुई है।
नाबर्ड ने प्रतिनिधियों को सूचित किया कि हम किसानों को 4 प्रतिशत की रियायती दर पर ऋण दे रहे हैं। नाबार्ड का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत को विकसित करना है, उन्होंने कहा।
नाबार्ड के माइक्रो वित्त आंदोलन ने ग्रामीण क्षेत्र की छवि बदली है और भारत में 800 माइक्रो वित्त संस्थाएं है। यह आंदोलन दक्षिणी क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहा है, उन्होंने कहा।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में चिंताला ने कहा कि हमें इन समूहों के संचालन में कई चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है। उन्होंने रखांकित किया कि महिलाओं के बीच नेतृत्व की समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक देश में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं और पैक्स समितियां इन समूहों के संचालन में अच्छी भूमिका निभा रही है।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ दिनेश ने प्रतिनिधियों को विशेष व्याख्यान का उद्देश्य बताया।
इस मौके पर सार्क देशों के प्रतिनिधि और एनसीयूआई के अधिकारियों समेत अन्य लोगों ने भाग लिया।