सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) ने विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर खाद्य वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी, दिल्ली चैप्टर के सहयोग से सहकारिता की भूमिका और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली स्थित एनसीयूआई सभागार में किया था।
इस संगोष्ठी में एनसीयूआई के सीईओ डॉ दिनेश, डॉ इरम राव, अध्यक्ष एएफएसटी (आई), दिल्ली चैप्टर, सुरेश श्रीवास्तव, महासचिव, आईएफयूएनए, जे.पी. मिना, आईएएस, अतिरिक्त सचिव, भारत सरकार, दिल्ली विश्वविद्यालयों के छात्रों समेत अन्य लोगों ने भाग लिया।
इस अवसर पर एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ दिनेश ने मौजूदा समय में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की दुर्दशा और चुनौतियों और सहकारी समितियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित युवाओं को सहकारिता का मतलब समझाया। उन्होंने सहकारी समितियों की क्षमता के बारे में भी बात की।
उन्होंने कहा कि भारत का सहकारी आंदोलन देश का सबसे बड़ा सहकारी आंदोलन है, जहां 6 लाख सहकारी समितियां जिनसे 25 करोड़ लोग जुड़ हुए है और 50,000 कृषि आधारित सहकारी संस्था है जो केवल किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करती है।
इस मौके पर मुख्य अतिथि जे.पी.मिना ने कहा कि किसानों को मजबूत बनाने में सहकारी संस्थाएं अच्छी भूमिका निभा रही है। वे किसानों को सस्ते दम पर गुणवत्ता बीज, उर्वरक उपलब्ध करवा रही है।
सहकारी संस्थाएं रोजगार का अवसर पैदा कर रही है और सरकार लगातार कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है, मिना ने कहा।