कुछ साल पहले तमिलनाडू के एक छोटे से कॉर्पोरेटर किसानों की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको के आरजीबी सदस्य बनना चाहते थे।
कॉर्पोरेटर रामचंद्रन जो बाद में निदेशकों के चुनाव में बहादुरी से लड़ने के बाद काफी प्रसिद्ध हो गये थे, इफको प्रबंधन ने उनको अपनी किसी प्रतिष्ठित समिति में जगह दी थी।
ऐसी ही स्थिति पंजाब मत्स्य पालन के एक सहायक निदेशक करमजीत के साथ पैदा हो गई है। फिश्कॉफेड के एमडी बी.के.मिश्रा जो इफको के पूर्व निदेशक डॉ जी.एन.सक्सेना की तरह सक्रिय अधिकारी है, ने भारतीय सहकारिता के अनुरोध पर करमजीत के प्रश्नों का जवाब भेजा है।
हम बी.के.मिश्रा द्वारा दिये गये उत्तर के साथ-साथ प्रश्न भी प्रस्तुत कर रहे है।
आदरणीय महोदय,
मैं पंजाब मत्स्य चंढीगड़ में एक सहायक निदेशक के रूप में कार्य कर रहा हूं। हमने 3000 मछुवारों का फिश्कॉफेड बीमा योजना के तहत बीमा करवाया है और हम इस योजना के जरिए कई और लोगों को जोड़ना चाहते हैं।
मेरा सवाल है:
1.फिश्कॉफेड पहचान पत्र/ पंजीकृत नंबर जारी क्यों नहीं कर रहा है?
2.योजना के तहत कैसे प्रभावित व्यक्तियों के मामलों से निपटा जाए?
3.कितने लोगों को इस योजना से लाभ प्राप्त हुआ है?
धन्यवाद
करमजीत
बी.के.मिश्रा, फिस्कोफेड द्वारा दिये गये सवालों का उत्तर
1.राज्य मत्स्य पालन विभाग इस योजना के तहत कवर करने के लिए सबसे बड़े लक्षित समूह का चयन करता है। विभाग चयनित मछुवारों के नाम, उम्र, पता, और कानूनी वारिस की सूची प्रदान करता है।
2.क्लेम प्रक्रिया के बारे में प्रत्येक राज्य के मत्स्य पालन विभाग को सूचित किया गया है। क्लेम की सूची हमारी वेबसाइट www.fishcopfed.in से डाउनलोड की जा सकती है। अतीत में मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने इस विषय पर दो कार्यशालाएं का आयोजन पंजाब स्थित आरआईसीएम में किया था।
3. अभी तक करीब 2000 क्लेम को निपटारा किया गया है।
बी.के.मिश्रा, एमडी, फिशकोफॉड