नेफेड के निदेशक अशोक ठाकुर ने हाल ही में जारी निविदाओं, कृषि सहकारी संस्था के कार्यालओं को पट्टे पर देने के कदम का विरोध किया है। अशोक ठाकुर ने नेफेड के अध्यक्ष वी.आर.पटेल को तत्काल प्रभाव से निविदाओं को रद्द करने की मांग की है।
अपने पत्र में ठाकुर ने तर्क दिया कि 2 सितंबर 2015 को आयोजित बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नेफेड की संपत्तियों को मुआवजे के तौर पर केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि डीआईटी के पक्ष में बैंकों के आदेश अनुसार नेफेड के मुख्य कार्यालय सहित सभी संपत्ति को निलामी किया जाना जरूरी है।
आर्थिक स्थिति से झूझ रही कृषि सहकारी संस्था के कोलकाता के एक फ्लैट, वाणिज्यिक कार्यालय और दिल्ली के आश्रम चौक पर स्थित डीडीए मार्केट की दो दुकानों को किराए पर देने के उद्देश्य से निविदा जारी की गई है।
अन्य निविदाओं में नई दिल्ली स्थित नंबर ई-16/बी-1 एक्सटेंशन मोहन सहकारी औद्योगिक एस्टेट और नवी मुबंई के सेक्टर 1 दोरनागरी भी शामिल है।
इस संबंध में ठाकुर ने अपनी बात साबित करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायाल के आदेश का भी हवाला दिया। उन्होंने लिखा “4-9-2014 को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों अनुसार नेफेड अपनी किसी भी संपत्ति को बेच नहीं सकता जबतक कोर्ट की अगली सुनवाई पूरी नहीं होती और हाल ही में जारी निविदाओं दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करना है।
नेफेड को बचाने में सरकार की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भारत सरकार नेफेड को बचाने के लिए सभी प्रयास कर रही है और सरकार नेफेड की वर्तमान स्थिति को लेकर चिंतित भी है लेकिन आपका यह कदम सकारात्मक नहीं है। निविदा खुले तौर पर निदेशकमंडल की प्रतिबद्धता के खिलाफ है।
ठाकुर ने नेफेड के कर्मचारियों द्वारा दायर केस के बारे में भी जानकारी दी। आखिर में “मैं आपके संग्यान में लाना चाहता हूं कि अतीत में नेफेड के कर्मचारियों ने नेफेड को अपनी संपत्ति बेचने के अधिकार से वंचित करने के मामले में कोर्ट में केस दर्ज कराया था”।