केंद्रीय रसायन एवं उवर्रक मंत्री श्री अनंत कुमार ने हाल ही में नई दिल्ली में भारतीय रसायन उद्योग के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के मौके पर कहा कि सरकार देश में रसायन उद्योग के लिए उपयुक्त माहौल, बुनियादी ढांचा और शुल्क ढांचा उपलब्ध कराने की खातिर जल्द ही एक राष्ट्रीय रसायन नीति लाएगी और यह स्वतंत्र भारत में इस तरह की पहली नीति होगी।
उन्होंने आगे कहा कि यह नीति इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगी और देश में रसायन उद्योग के विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों का समाधान करेगी।
पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश में चार लाख से ज्यादा प्लास्टिक इंजीनियरों की आवश्यकता है जबकि प्रतिवर्ष 45,000 इंजीनियर ही बामुश्किल उपलब्ध हैं। इसलिए, सरकार अगले कुछ वर्षों में केंद्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों (सीआईपीईटी) की संख्या 23 से बढ़ाकर 100 के करीब करने की योजना बना रही है। सरकार ने 10 सीआईपीईटी को मंजूरी दी है और ये स्किल इंडिया की कमी को काफी हद तक पूरा करेंगे।
इन सीआईपीईटी के प्रशिक्षुओं के कौशल विकास में एसोचैम और दूसरे उद्योग संगठनों को भी हिस्सेदार बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में कौशल विकास के लिए एसोचैम को जल्द ही सीआईपीईटी के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर सकता है, पीआईबी के प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।
देश के पश्चिमी हिस्सों के विकास विशेषकर गुजरात का उदाहरण देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रसायन उद्योग का विकास किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सर्वोपरि है।
उन्होंने कहा कि स्पष्ट संकेत हैं कि देश की अर्थव्यवस्था सुधर रही है और यह आवश्यक है कि आर्थिक विकास नीचे तक पहुंचे। उन्होंने सरकार और उद्योगों के बीच बातचीत पर जोर दिया ताकि मुद्दों पर चर्चा की जा सके और इस क्षेत्र में अवसरों का दोहन हो।