एनसीयूआई की कोष निधि में हेराफेरी के मामले में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करना उचित नहीं है।
यादव ने आगे कहा कि कोष निधि की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया गया है जिसके सदस्य सरकार के प्रतिनिधि भी है। यादव ने भारतीय सहकारिता के संवाददाता से कहा कि निधि के निवेश का निर्णय सरकार की मंजूरी से किया जाता है।
पाठकों को याद होगा कि एक मीडिया रिपोर्ट में एनसीसीटी और एनसीयूआई पर 340 करोड़ रुपये के कॉर्पस फंड के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। कागजात के अनुसार सरकार सहकारी प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय परिषद के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रही है।
हम सहकारी नेता नीतिगत मामलों पर ज्यादा ध्यान देते है, चंद्र पाल ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि सात सदस्यीय कॉर्पस फंड समिति में सरकार की तरफ से तीन प्रतिनिधि होते है।
कमेटी में एनसीयूआई के अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और एनसीसीटी के सचिव, वित्तिय सलाहकार, केंद्रीय रजिस्टार, एनसीडीसी का एक प्रतिनिधि और केंद्र सरकार की तरफ से सरकारी निदेशक होता है।
इससे पहले एनसीयूआई के अध्यक्ष बैठक की अध्यक्षता करते थे लेकिन कुछ साल पहले अतिरिक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी ने अध्यक्षता करने की कोशिश की थी।
कॉर्पोरेटरों का मानना है कि दिशा-निर्देशों का उल्लंघन उचित नहीं है लेकिन समिति एक व्यक्ति वाली नहीं है और इस कमैटी में सरकार की आवाज की भूमिका अधिक है।
पाठकों को याद होगा कि नेफेड के मामले में कृषि सहकारी संस्था नेफेड ने एमएफ हुसैन की पेंटिंग को खरीदने के लिए निवेश किया था और मामला अभी तक सुर्खियों में है।