सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) ने मीडिया रिपोर्ट जिसमें एनसीसीटी और एनसीयूआई की कोष निधि में नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगा है, कि कड़ी निंदा की है।
एनसीयूआई के कार्यकारी निदेशक (वित्त) ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की रिपोर्ट को सामने रखते हुए बात की।
सरकार द्वारा एनसीसीटी के खिलाफ कार्रवाई पर विचार के मुद्दे पर एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ दिनेश ने हंसते हुए कहा कि केंद्रीय रजिस्ट्रार को फंड के बारे में सारी जानकारी है।
कहां दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया है, सत्यनारायण ने पूछा। उन्होंने लेखा परीक्षक द्वारा उद्धत विस्तृत दिशा निर्देश दिखाया। दिशा निर्देशों की धारा (ए) की संख्या 6 के अनुसार राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारी बैंक, बहु-राज्य सहकारी बैंक, आरबीआई के फिक्सड डिपॉजिट मे निवेश कर सकते है।
पाठकों को याद होगा कि 200 करोड़ रुपये की निधि 10 वीं योजना के तहत भारत सरकार और एनसीयूआई के बीच में 100 – 100 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। यह निधि समिति द्वारा प्रबंधित की जाती है।
इस समिति में एनसीयूआई के अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी, केंद्रीय रजिस्ट्रार, एनसीसीटी के सचिव, कृषि मंत्रालय के अधिकारी समेत अन्य लोग शामिल है। केंद्र सरकार दो सदस्यों को नामित करती है।
जवाहर लाल सहकारी संस्थान के नाम पर 5.8 करोड़ रुपये की कोष निधि का जिक्र करते हुए सत्यानारायण ने कहा कि सिर्फ 3 करोड़ रुपये की निधि थी और ब्याज के बाद यह 5.8 करोड़ रुपये हुआ, और किसी भी संस्था ने इसमे से पैसा नहीं लिया और पैसा एफडी के रूप में जमा किया गया।
सत्यनारायण ने कहा कि गलत खबरें संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं।