सहकारी क्षेत्र के हितों के लिए लड़ना और सहकारिता को केंद्र का विषय बनाने की दिशा में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है।
उन्होंने पत्र में लिखा कि भारत में छह लाख सहकारी समितियों है जिससे करीब 25 करोड़ लोग जुड़े हुए है। श्री यादव ने नीति-निर्माताओं से अनुरोध किया कि सहकारी क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए 2015-16 के बजट को अंतिम रूप देना चाहिए।
सहकारी क्षेत्र की चिंताओं का ब्यौरा देते हुए चंद्र पाल ने मांग कि की सहकारी समितियों को कराधान के मामले में कुछ रियायतें दी जानी चाहिए। सहकारी समितियों की आय का काफी भाग आयकर की दिशा में उत्सर्जित होता है।
इसलिए माननीय वित्त मंत्री द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80पी के तहत सहकारी समितियों के हित में उचित हस्तक्षेप के लिए अनुरोध किया गया है, पत्र के अनुसार।
यादव ने कहा कि धारा 43डी जो वर्तमान में केवल अनुसूचित बैंकों पर लागू है और मांग कि की इसका विस्तार गैर अनुसूचित सहकारी बैंकों पर भी किया जाए।
चंद्र पाल ने कई अन्य मुद्दों जैसे बहु राज्य सहकारी समितियों के लिए कम दर पर विदेशी लाभांश के कारधान, पर उनका ध्यान आकर्षित किया।
एनसीयूआई के अध्यक्ष ने विनिर्माण क्षेत्र में सहकारी क्षेत्र के लिए निवेश भत्ता में विस्तार की मांग की है। यादव ने फेमा नियमों के तहत सहकारी समितियों को लाभ दिया जाए की भी मांग की है।
आयकर के अलावा, एनसीयूआई के अध्यक्ष ने एक सबसे महत्वपूर्ण छूट सेवा कर को हटाने की मांग की और कहा कि सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण से भी सेवा कर को वंचित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि देश के सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों जो काफी पूराने है और आर्थिक संकट के गुजर रहे उन संस्थानों के नवीनीकरण में सरकारी हस्तक्षेप की मांग की है।
चंद्रपाल ने एनसीयूआई क्षेत्र परियोजनाएं द्वारा निभाई जा रही भूमिका की सराहना की और इसको मजबूत बनाने की मांग की। इसी तरह उन्होंने पैक्स के पुनर्पूंजीकरण की वकालत की और मंत्री को याद दिलाया की पैक्स के लिए 13,592 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए थे जिसमें से अभी तक केवल 9,958 करोड़ 29,000 पैक्स पर खर्च हुआ है।
अंत में उन्होंने मांग कि की मेक इन इंडिया और कौशल भारत अभियान से सहकारिता को जोड़ा जाए।