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उर्वरक: कैबिनेट ने सुधार करने पर दिया जोर

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पोषक तत्‍व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत सब्सिडी के लिए योग्‍य होने वाली सिंगल सुपर फास्‍फेट (एसएसपी) विनिर्माण इकाइयों के लिए न्‍यूनतम क्षमता उपयोग मानदंड को तत्‍काल प्रभाव से हटाए जाने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी।

यह मंजूरी सरकार द्वारा हाल किए जाने वाले नीतिगत सुधारों के क्रम में है जिनमें नई यूरिया नीति, 2015 एवं यूरिया उत्‍पादन के लिए गैस पूलिंग शामिल है। ऊर्जा कुशलता को बढावा देने एवं गैस मूल्‍य निर्धारण तंत्र को युक्तिसंगत बनाने पर जोर दिए जाने के कारण इस वर्ष की अभी तक की अवधि में अब तक का सर्वाधिक उत्‍पादन हुआ है। ऐसी उम्‍मीद है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 17 लाख एमटी अतिरिक्‍त यूरिया का उत्‍पादन होगा। इसके अतिरिक्‍त, उत्‍पादकता बढाने तथा गैर कृषि उपयोग को रोकने के लिए शत-प्रतिशत यूरिया को अब नीमयुक्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त सीटी कंपोस्ट के संवर्धन पर नीति एक अहम पहल है जिसका उद्देश्य नगरों को स्वच्छ बनाना तथा नगर के कचरे को मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कंपोस्ट के रूप में उपयोग में लाना शामिल है। इस नीति के तहत पहली बार 1500 रूपये प्रति एमटी की बाजार विकास सहायता उत्पाद के उत्पादन एवं उपभोग को बढ़ाने के लिए प्रदान की जाएगी, पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।

एसएसपी एक फासफेटिक बहु-पोषक उर्वरक है जिसमें 16 प्रतिशत फासफेट, 11 प्रतिशत सल्फर, 16 प्रतिशत कैल्सियम तथा कुछ अन्य अनिवार्य सूक्ष्म पोषक तत्व सन्निहित हैं। अपनी सरल उत्पादन तकनीक के कारण यह उपलब्ध उर्वरकों में सबसे सस्ता रसायनिक उर्वरक है। यह तिलहनों, दालों, बागवानी, सब्जियों, ईंख आदि जैसी फसलों के लिए अधिक अनुकूल है।

01-10-2009 से एसएसपी इकाइयों के लिए सब्सिडी पाने के योग्य बनने के लिए अपनी स्वीकृत उत्पादन क्षमता न्यूनतम 50 प्रतिशत का उपयोग करना या प्रतिवर्ष 40 हजार एमटी का उत्पादन करना, इनमें से जो भी कम हो, अनिवार्य बना दिया गया था। प्रारंभ में कुछ क्षमता संवर्धन किया गया था लेकिन पिछले 4 वर्षों के दौरान देश में एसएसपी के उत्पादन एवं उपभोग की स्थिति कमोबेस स्थिर ही रही है।

न्यूनतम क्षमता उपयोग मानदंड को हटाने की यह नई नीति एसएसपी इकाइयों को भी अन्य उर्वरकों के समान ही बना देगी और वे कृषि उदेश्यों के लिए उत्पादित एवं विक्रय की मात्रा के बावजूद सब्सिडी पाने के योग्य बन जाएंगे।

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