केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने ढाका, बांग्लादेश में सार्क देशों के कृषि मंत्रियों की तीसरी बैठक में इस क्षेत्र में कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए सार्क देशों को मिलकर काम करने का आह्वान किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि कृषि को आर्थिक एवं सामाजिक विकास का प्रमुख वाहक बनाने में सार्क देशों की सरकारों की बेहद रुचि है और कृषि मंत्रियों की उपस्थिति उनकी राजनैतिक इच्छाशक्ति को दर्शाती है।
इस अवसर पर श्री सिंह ने बताया कि इस पूरे क्षेत्र में किसान आर्थिक असमानता और अस्थिरता से जूझ रहा है और सभी को मिलकर इसका समाधान खोजने की जरूरत है।
अपने संबोधन में कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने भारत की हरित क्रांति का जिक्र किया और कहा कि वर्ष 1960 के दशक में इसकी वजह से खाद्य उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई थी लेकिन अब भी कृषि क्षेत्र में अनेक चुनौतियां मौजूद हैं। ये चुनौतियां हैं मृदा की जैविक सामग्री में नुक्सान, मृदा के पोषक तत्वों में कमी, खरपतवार, रोगों और नाशीजीवों में बढ़ोतरी, लवणीय एवं सोडियम युक्त मृदा, भूजल स्तर में कमी और जल भराव जैसी समस्या।
उन्होंने कहा कि इनसे ना केवल स्थानीय रूप से कृषि प्रभावित होती है बल्कि इनका जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, नाशी जीवों और रोगों की गतिशीलता जैसे ट्रांस-बाउंडरी प्रभाव भी पड़ते हैं।
कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने उपस्थित प्रतिनिधियों को बताया कि जलवायु परिवर्तन आज की वास्तविकता है और इस क्षेत्र में कुछ मामलों में इससे भारी नुक्सान की आशंका है। दक्षिण एशिया, जलवायु परिवर्तन के संबंध में प्राकृतिक आपदाओं के प्रति विश्व के सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। फसलों और पशुओं को प्रभावित करने वाले नाशीजीवों तथा रोगों की गतिशीलता का पता लगाना और इसके निदान के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।