अन्तर्राष्ट्रीय सहकारी दिवस के अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा दिल्ली में आयोजित समारोह मे शानिवार को सुभाष पालेकर, प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और लेखक ने सहकारिता आंदोलन को जीरो आधारित खेती में आगे आने का आव्हान किया। सहकारी आंदोलन का विस्तृत नेटवर्क एंव फैलान, इस खेती को पूरे देश मे फैला सकता है, उन्होंने आगे कहा। हर वर्ष जुलाई के पहले शनिवार को अन्र्तराष्ट्रीय सहकारी दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष का अन्र्तराष्ट्रीय सहकारी दिवस समावेशी विकास पर केन्द्रित है।
पालेकर ने आगे कहा कि जीरो आधारित खेती कम से कम लागत पर कृषि उत्पादकता में वृद्धि होती है, और इससे किसानों के आय में काफी बढोत्तरी होती है। उन्होने कहा यह खेती किसानों मे खुशहाली लाने के लिए काफी कारगार सिद्ध हो सकती है। उन्होंने किसानों की बढती आत्महत्या पर लोगो का ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने कहा कि सरकारी आर्थिक सहायता और अन्य प्रकार की सहायता से किसानों की स्थिति मे कोई सुधार नही आया है, और उनका जीवन अंधकारमय है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति मे जीरो आधारित खेती किसानो के लिए आशा की एक किरण है।
जे.गोबर्धन, भारत मे मारीथस के उच्चायुक्त ने इस अवसर पर कहा कि मारीशस जैसे छोटे देश मे जीरो आधारित खेती से किसानों की खेती उत्पादकता मे काफी बृद्धि हुई है, जो यह दर्शाता है कि भारत में इसकी सार्थकता काफी सिद्ध हो सकती है, एनसीयूआई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।
यू.एन.खवारे ,अतिरिक्त कमिश्नर केन्द्रीय विद्यालय ने कहा कि सहाकारिताओं मे स्कूल के बच्चे एंव नौजवानों को आगे आना होगा । एन.सत्यनरायण, मुख्य कार्यकारी भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने अन्तराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला।
इस समारोह में एनसीयूआई के उपाध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय सहकारी प्रतिनिधियों के अलावा केन्द्रीय विद्यालय के बच्चे, और उत्तर प्रदेश/पंजाब के किसान भी शामिल थे ।