इफकोलाइव.कॉम ने एक कहानी पेश की, जिसमें किसान के बेटे ने नवाचार के द्वारा खेती को आसान बनाया। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित एक किसान के बेटे ने कृषि भूमी में दवा छिड़कने के लिए ड्रोन तकनीक को विकसित किया है।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यू.एस.अवस्थी ने कहानी को ट्वीटर के जरिए साझा किया।
रायपुर के राहुल चावड़ा के पास न तो इंजीनियरिंग की डिग्री है और न ही कोई डिप्लोमा। रायपुर से 30 किलोमीटर दूर हरदी गांव में राहुल का 25 एकड़ का फार्महाउस है। ये पिछले 15 साल से खेती कर रहे हैं।
इसके लिए उन्होंने जापान, चीन और अमेरिका से ड्रोन के पार्ट्स मंगवाए और फिर इस तकनीक को तैयार किया। ड्रोन बनाने में करीब दो लाख का खर्च लगा। इस ड्रोन को आसानी से फोल्ड किया जा सकता है और बैग या सूटकेस में ले जाया जा सकता है। राहुल को ड्रोन तकनीकी तैयार करने में करीब 2 साल का वक्त लगा।
ड्रोन एक बार में तकरीबन पांच से सात लीटर कीटनाशकों के साथ उड़ान भर सकते हैं और सभी फसलों पर छिड़काव करने में सक्षम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि फसल पर कीटनाशकों के छिड़काव की वजह से किसानों को गंभीर बीमारियों से झूझना पड़ता था। इस तरह के तकनीक से किसानों को सुरक्षा मिलेगी।
एक एकड़ के जिस खेत में दो मजदूर दिनभर का समय लेते हैं, यह ड्रोन वह काम केवल आधे घंटे में कर देता है। रिचार्जबल बैटरी से चलने वाले इन ड्रोन पर छिड़काव के लिए बारह से पंद्रह रूपये का खर्च आता है।
इस तरह हरियाणा के फरीदाबाद स्थित गांव कौराली निवासी इंजीनियर रविंद्र भाटी ने फसलों पर कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ऑटोनोमस प्रोग्राम पर आधारित ड्रोन विकसित किया था।