कृषि

कृषि कर्म है, सहकार धर्म है : सिंह

छत्तीसगढ़ सहकार भारती द्वारा आयोजित एक समारोह में भाग लेते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि और सहकार एक दूसरे के पूरक हैं, कृषि कर्म है, सहकार धर्म है। शहीद स्मारक भवन, रायपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति में सहकार को विशेष महत्व दिया गया है।

इस अवसर पर सहकार भारती के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा कि “आज केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने रायुपर में सहकार भारती के प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन किया”।

राज्य में सहकारी आंदोलन की भूमिका की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा कि देश भर में छत्तीसगढ़ कृषि एवं सहकार का एक अनूठा संगम है। यहां पैक्सों के जरिए धान को समर्थन मूल्य में खरीद कर किसानों को आर्थिक लाभ दिया जा रहा है। सरकार के इस काम में सहकार का विशेष योगदान है।

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों की सहायता के लिए कई कदम उठाए हैं। उसे कम ब्याज पर कर्ज देने की व्यवस्था की गई है जिससे वह बीज, खाद आदि खरीद सके, परंतु उन्होंने माना कि यह पर्याप्त नहीं है। सच तो यह है कि उस तक सहायता नहीं पहुंच पाती। उन्होंने कहा कि जब तक किसान निर्धन और अशिक्षित रहेगा तब तक देश उन्नति नहीं कर सकता। किसानों की हर तरह से सहायता कर उसे स्वावलंबी और शिक्षित बनाया जाना चाहिए।

इससे पहले इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) के आठवें दीक्षांत समारोह और छत्तीसगढ़ सहकार समिति, रायपुर में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने लोगों को सम्बोधित किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ मे 21वें कृषि विज्ञान केन्द्र का उद्घाटन किया। शेष 6 नये जिलों में भी शीघ्र कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

सिंह ने कहा है कि नयी तकनीक के विकास के साथ कृषि के तरीकों में नित नये परिवर्तन हो रहे हैं। इन प्रोद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए यह जरूरी है कि कृषि शिक्षा को सुदृढ़ बनाया जाए।

कृषि मंत्री ने इस मौके पर उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र- छात्राओं को बधाई दी और कृषि के क्षेत्र में विश्वविद्यालय और छात्र- छात्राओं द्वारा हासिल उपलब्धियों की सराहना की। समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह, राज्यपाल,विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री बलराम जी दास टंडन और छत्तीसगढ़ के कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी उपस्थित थे।

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