भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव ने मांग की कि सरकार को सहकारी समितियों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए बल्कि आयकर बोझ के मामले में उनकी मदद करनी चाहिए। उन्होंने सोमवार को दिल्ली में आयोजित सहकारी संस्था की शीर्ष संस्था एनसीयूआई की वार्षिक आम बैठक के मौके पर कहा।
अपने अध्यक्षीय भाषण में शीर्ष सहकारी संस्था के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव ने 97वां संवैधानिक संशोधन, अम्ब्रेला संगठन, आयकर, सहकारी बैंकों सहित अन्य मुद्दों पर प्रकाश डाला।
सरकारी नॉमिनी ज्योतिंद्र मेहता, बलविंदर सिंह नकई समेत कई निदेशक एजीएम में अनुपस्थित थे। बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि देश में सहकारी नेताओं की 25 करोड़ की आबादी में एनसीयूआई एजीएम में बहुत गिने चुने लोग ही मौजूद है। हमें इफको और कृभको जैसी सफल सहकारी संस्थाओं से बात करके प्रतिनिधियों के आने-जाने का भाड़ा देने होगा।
चंद्रपाल ने सुनील को ध्यानपूर्वक सुना जबकि कई अन्य नेता उनसे प्रतिनिधियों के सामने अपना परिचय देकर बात जारी रखने का आग्रह कर रहे थे।
चंद्रपाल सिहं ने कहा कि “हम सभी जानते है कि भारत का सहकारी आंदोलन दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन है”। सहकारी समितियां देश के किसानों को उर्वरक, यूरिया, सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध करा रही है और इनका मुकाबला न तो निजि क्षेत्र और न ही सार्वजनिक क्षेत्र कर सकता है।
उन्होंने नेफड के बारे में भी चर्चा की और सरकार को बेल आउट पैकेज को हरी झंडी दिखाने के लिए धन्यवाद दिया। एनसीयूआई ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का निर्णय लिया है, यादव ने कहा।
यादव ने कहा कि अपने शैक्षिक संस्थाओं के माध्यम से एनसीयूआई ने सहकारी लोगों के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया है।
कई सहकारी नेता जैसे राजेन्द्र नेगी, विरेन्द्र सिंह, विशाल सिंह, आशोक डबास, विनय शाही, लखन लाल साहू, रमेश बंग, एनसीयूआई अधिकारियों समेत अन्य लोग मौजूद थे।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन.सत्यनारयण ने एजेंडा रिपोर्ट पेश की और निदेशकों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया।